कांटे चुभने पर फ़ौजी ने मुस्कुरा दिया,
शायद वो कांटों के जज़्बात समझ गया,
न जाने फूलों को महफूज़ रखने में
उन्होंने कितनी गालियां खाई होगी।-
यह गालियां क्या होती हैं.,🤔?
गाली एक ऐसा शब्द है जिसको हमारे समाज में अपशब्द माना जाता है, फिर भी हम सब इन अपशब्दों का प्रयोग अपने जीवन में जरूरत पड़ने पर जरूर करते हैं, दुनियां में यह अपशब्द सिर्फ़ किसी दूसरे इंसान को दुखाने,, या नीचा दिखाने से ज्यादा किसी के प्रति प्रेम जाहिर करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, जब इंसान अपना प्रेम जाहिर करने में असमर्थ हो जाता है, तब वो गलियां देने लग जाता है, यकीन ना हो तो हिसाब करके देखो,, हमें जीवन में 90% गलियां अपने मां बाप, भाई, बहन, रिश्तेदार, और दोस्तों से सुनने को मिलती हैं,,, मतलब जब कोई अपना हमसे किसी बात पर निराश यां गुस्सा होता है, तब वो अपने शब्दों में इन अपशब्दों को यानी के गलियों को जोड देता है ,,,
बहुत कम लोग होते हैं, जो इस निरादर के पीछे की भावना को समझ पाते हैं,, और जो इन्हें नहीं समझ पाते वो इन शब्दों को अपशब्द (गालियां) बोल्कर किनारा कर लेते हैं,, ।।-
आखिर क्यों रिश्तों की गलियां इतनी तंग है,
शुरुआत कौन करे यही सोच कर बातें बंद है !-
ढूँढने निकले थे हम गलियों में मौहब्बत का पता मौहब्बत का पता तो मिला नहीं ज़िन्दगी का पता भी भूल गए
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भूली बिसरी गलियाँ भी ,
अब जबाब देने लगी हैं,
तुम लौटो,
तो हमारा लौटना भी मुनासिब हो,
वरना,
इन गलियों से तो,
हमें बहुत गालियां पड़ी हैं...-
ऐ खुदा बना मर्दो को भी औरत थोड़े पल को
के ये भी सुने खुद पर....खुद की गालियां-
दिल की सुनसान गलियों से एक मासूमियत क्या गुज़र गई
ज़रा सी हरक़त भर से मेरी संजिदगी की धज्जियाँ उड़ा गई-
मेरी मुस्कराहट तेरी यादों की गलियों में कही गुम सी हो गई है... 😔
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यूं तो जनाब हमारी शराफ़त की चर्चो का
दूर दूर तक सूनाम हैं
हमारे ही गुजरने से क्या हुआ
मोहब्बत की गली पहले से ही बदनाम हैं।-
बचपन की यादें और बचपन की बातें भुलाए न भूलती,
क्योंकि उससा दूजा कहीं न मिलता.-