गलतियां करने का हक ख़ुद से मत छीन 'चेतना'
चंद अश्कों के बह जाने से आंखों का नूर कम नहीं होता!-
कामना,लोभ मिटाकर, खुद को निष्काम किया है
जवान हसरतों को जलाकर, खुद को बच्चा किया है
बढ़ती उम्र के साथ गलतियां बेहिसाब की
अहसास होते ही हर गलती का सुधार किया है
आशिकी का भूत था, न हद थी पागलपन की
आवारगी में ना जाने,दिल किस-किस के नाम किया है
ना तलब खूबसूरती की,ना बहक सकता हूँ अब प्रमत्त नयनो से
इच्छाओं, अभिलाषाओं का गला घोंटकर, खुद को योगी किया है
हुस्न दिखाकर ढूंढ रहे हैं मुझमें वो शख्स पुराना सा,
बेख़बर है कि "मुनीष" ने "मुनीष" को मारकर,"मुनीष" जिंदा किया है-
कहीं चाहा उसने जिद करना तो तुम उसकी बातो को बचपने में गिनते गए,
ये तो उनका बड़प्पन था की तुम्हारी सारी गलतियां वो माफ करते रहे ।
— % &-
गुस्सा !
अगर गलत चीजों को देखकर भी तुम्हे कोई फर्क नहीं पड़ता ना - तो बेटा !
तुम मर चुके हो !-
गलतियां हर किरदार की लाजमी सी कहानी..
पर पलड़ा हल्का अपना किसी ओर का भारी..
नजरअंदाज कर हर किस्से को अपने..
पर उसके किस्से की हर दफा वहीं कहानी क्यू...
गलतियां तो हर किरदार की लाजमी सी कहानी ...
अकां क्यू उसे हर दफा एक ही नजर से...
कभी तो उसकी नजर से देखता उसे...
दफना गए अपनी हर एक गलती को...
आईना किसी और का बनने में बड़ी दिलचस्पी दिखाई
खेर, गलतियां हर किरदार की लाजमी से कहानी !!-
अभी मैं गलत हूं
थोड़ा नासमझ हूं
पर पूरी जोर कोशिश है
ला पाऊं वो दिन
जब हँस सकूँ
अपने आप पर
अपने बीते काम पर।-
बेहतर समझने लगे हैं वो मुझको,
मेरी गलतियां खुद पर मढ़ा करते हैं,
पहले ढूंढते थे बहाने बात करने के
जनाब अब मेरी आँखें पढ़ा करते हैं !-
निगाहों ने जरा सी गुस्ताखी की है
तुम्हे देखनी की अब आदत सी हो गयी है-