ग्लोब पर तेरी मुस्कान के
ठहरी हो शरारत जैसे
थिरकती हो कोमलांगी
नृतकी कोई या
वीणा के तार
छेड़े हो जैसे
अधरों से निकले हो
सुमधुर स्वर जैसे
या ये कोई स्वप्न जैसे-
27 APR 2017 AT 0:07
16 MAR 2019 AT 9:17
कोमल है कमजोर नही शक्ति का नाम ही नारी है
जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है .......-
16 MAR 2019 AT 9:39
कितनी अलमस्त होती हैं लड़कियां
चाहें तो खोलें बंद कर दें खिड़कियां
कोमलांगिनी बन कर दामिनी बन गई
नहीं किसी रोशनी को मांगे लड़कियां
जब जैसा मूड हो करती वैसी ही बात
बेफिक्र, अलमस्त हो चलीं लड़कियां
ज़रा सी चूक का कारण न सुनें यह तो
अपने क़ानून खुद बनाती हैं लड़कियां
जहां को जन्नत ज़िन्दगी को रखें मन्नत
मदहोश मुकामों को सजाती हैं लड़कियां।
धीरेन्द्र सिंह-
22 APR 2023 AT 10:53
अपने हृदय में मेरे प्रेम को सहेज कर रखना
कोमल बहुत है यह मुरझाने मत देना!-