किसान तरस रहे
बौछार को
कर्मचारी तरस रहे
पगार को।।
😢 उजड़ा मद्यप्रदेश😢-
मुबारक हो मित्रों, आदरणीय गोभी जी
‘बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया’ इन चार बैंको को बेचने जा रही है। इन बैंको के लगभग 1.5 लाख कर्मचारी के अच्छे दिन आ गए।😎-
"मध्यप्रदेश के कार्यालयों में
प्लास्टिक पर प्रतिबंध।"
प्लास्टिक सर्जरी
कराने वाले कर्मचारी
असमंजस में।
😊न्यूज़ का फ्यूज़😊-
Yourquote पे मेरे जैसे कर्मचारी (कर्म चोर) रविवार को भी सुबह से काम पे लग जाते हैं ।
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कुछ कर्मचारी ऐसे होते है, जो ईमानदारी की रोटी खाते है,
और महीने के आखिरी दिन में 10 रुपये खर्च करने के पहले, कई बार सोचते है....!-
दिल की ये काला बाजारी,
हम को तो रास नहीं आ रही।
दिल में क्या है साफ बताते नहीं,
जैसे हो कोई सरकारी कर्मचारी ।-
व्यंग्य
उद्योगपतियों के गुणगाने वालो इन्होंने आपदा के समय अपने कर्मचारियों को नहीं बख्शा तो देश को व देश की जनता को क्या बख्शेंगे?
😂😂😂😂😂-
हम कर्मचारी हैं,तो क्या हमारी,कीमते जान नहीं है
हुजूर,इंसान है हम,कोई उपभोग का सामान नहीं है
चलो माना मिलती है पगार,मगर काम भी करते हैं
सुबह ही नहीं,नाम आपके,अपनी शाम भी करते हैं
फिर क्यों कर,आखिर हमारा,कोई सम्मान नहीं है
हुजूर,इंसान है हम,कोई उपभोग का सामान नहीं है
हुकुम आपका,हो नाजायज,तो भी पड़ता है मानना
कई मर्तबा,अपमान का,हमें करना पड़ता है सामना
चाकर हैं हम,तो क्या हमारा,आत्मसम्मान नहीं है
हुजूर,इंसान है हम,कोई उपभोग का सामान नहीं है
उम्मीदों पे आपकी हमें,हमेशा खरा उतरना होता है
हो काँटों भरे रास्ते चाहे,उनसे हमें गुजरना होता है
ऐ "अश्क" इस हाल में,जीना हमारा,आसान नहीं है
हुजूर,इंसान है हम,कोई उपभोग का सामान नहीं है
अरविन्द "अश्क"
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क्यों नहीं थमता यह चापलूसी का दौर है ?
वो मुलाजिम है गुनाहगार नहीं
उसपर क्यों इतने सवाल हैं ?
माना उनका ओहदा कुछ निम्न है,
पर वो भी तो इंसान है ।
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वाह कका वाह
👌🏻👌🏻
जैसे मिलिस सत्ता
बड़ा लिए अपन भत्ता
बाकी कर्मचारी के तो
बईठा दिए भट्ठा
😏-