उसने पूछा कि "आप हमेशा कठोरता से बात क्यों करते हो ?
तो मैंने कहा ताकि "तुम मुझसे विनम्रता से बातें न करो और मैं तुम्हारी नम्र बातों में न आ जाऊँ और फिर से उसी अंजाम को न पाऊँ,
जब पता है कि हर कहानी का एक ही अंजाम होने वाला है तो उसे शुरू होने से पहले क्यों न खत्म कर दिया जाए।
"दरअसल बात ये हैं कि हर बार कहानी का अंत सामने वाला ही क्यों लिखे।
अरे थोड़ी-मोड़ी कलम तो हम भी चला लेते है और हाँ हर बार रायमिंग अर्थात तुकबंदी ज़रूरी थोड़ी हैं।-
25 AUG 2019 AT 10:49
26 APR 2019 AT 8:21
ओ मेरे सरकार....
क्या बताएं अब तुमको यार
गर्मी से बुरा है हाल....-
15 FEB 2021 AT 16:38
ईश्वर ने,
स्त्री को दी सुंदरता
और
पुरुष को कठोरता।
दोनों ही व्यस्त हैं;
स्त्री,
स्वयं को सुंदर बनाने में
और
पुरुष
स्वयं को कठोर।-
8 OCT 2017 AT 6:07
ऐ सरिता
आ सुनाऊँ तुझे एक कविता
जो है तुझसे भी गहरी
जो तुझसी कभी न ठहरी।
ऐ पर्वत
आ सुनाऊँ तुझे एक कहानी
जो है तुझसे भी विशाल
जो है तुझसा कठोर भी।-
9 JAN 2022 AT 21:17
कभी शीशे सा नाज़ुक
कभी शिले सा कठोर
अंदर अंदर मुझे ही खाये
मन मेरा आदमखोर-
7 MAY 2020 AT 8:07
पहले कोमल
फिर कठोर,
फिर कोमल
फिर कठोर
होना भी
मैंने प्रेम में ही जाना!-