कोई कह रहा था साथ निभाने को
जाते वक्त कुछ भी बता कर नहीं गया
उम्दा की थी रोशनी की बातें बहुत मगर
टूटा दीपक दर मेरे जला कर नहीं गया-
"मुझे तुम्हारी फ़िक्र है", कहना बहुत आसान, होना मुश्किल।
किसी को पाना बहुत ही ज़्यादा आसान है, खोना मुश्किल।
कुछ भी होने का दिखावा करना बहुत ही ज़्यादा आसान है।
सच में कुछ भी होना, असल में होना बहुत ज़्यादा मुश्किल।
किसी से "मोहब्बत" का "इज़हार" करना बहुत ही आसान है।
पर "आजीवन" उससे मोहब्बत करते रहना, "निभाना" मुश्किल।
जिंदगी में तूफ़ान आए तो पीठ दिखा के भाग जाना है आसान।
लेकिन वहीं पे रुककर उसका सामना करना बड़ा ही मुश्किल।
इंसान के भेष में जानवर बनकर जीना बड़ा आसान है "अभि"।
पर इंसान होकर इंसानियत दिखाना बहुत ही ज़्यादा मुश्किल।-
क़लम को इंतज़ार है हमारे दिल की बातें बयां करने का।
एक दौर था जब हमको शौक़ था ख़ुद को फ़ना करने का।
वो भी क्या ख़ूबसूरत वक़्त था दिल को दरिया करने का।
इश्क़ भी एक तरीक़ा हैं मेरे दोस्त ख़ुद को जवां करने का।
सोचकर दिल ख़ुश हो जाता हैं उन बातों को जब उन दिनों।
हमारे ऊपर मानो एक शुरूर चढ़ा था उनसे निका करने का।
जब उनके सिवा उनके बिना हमने एक लम्हा सोचा न था।
एक ही तलब थी इस दिल की उनको हमनवां करने का।
उस वक़्त इस इश्क़ के मारे दिल में और कोई ख़्याल न था।
इश्क़ उनसे हर वक़्त हर पल हर लम्हा हर दफ़ा करने का।
अच्छा लगता था उनकी गली में शाम को सुबह करने का।
इश्क़ की वजह न थी, मज़ा अलग था इश्क़ बेवजह करने का।
क़लम से सोहबत हुई तो अब एक वजह है जीने की "अभि"।
वरना इश्क़ ने कोई मौक़ा नहीं छोड़ा हमको मुर्दा करने का।-
दुनिया को दिखाना है, हर मुश्किल काम कर जाना है।
अपने जो रूठ गए हैं फिर से उनको अपना बनाना है।
आज कुछ ज्यादा ही नफ़रत बढ़ गई हैं इस दुनिया में।
सबके दिल में प्यार से बस प्यार ही प्यार भर जाना है।
कुछ भी नामुमकिन नहीं है इस संसार में ओ मेरे यारों।
मेहनत और लगन से सबकुछ ही हासिल कर जाना है।
परायेपन की बदबू से "जी घबराता है" आजकल मेरा।
अपनेपन की खुशबू से संसार का उपवन महकाना है।
अकेलापन अब कुछ ज़्यादा ही तड़पाने लगा है मुझे।
पर दिल कहता है तन्हामुसाफ़िर तुझे तन्हा ही जाना है
मन करता है कि कोई होता तो मेरे साथ रहता हरदम।
फिर अंदर से आवाज़ आई तुझे तन्हा ही मर जाना है।
उसकी बातें उसकी यादें उसके तोहफ़ें मेरे साथ ही है।
उससे ही शुरू होता हैं हर सफ़र मेरा उसी पे रुकजाना है।
मेरी "ख़ुशियों की चाभी" जैसे "मेरे महबूब के पास थी।"
और वो उसे "अपने साथ" में लेकर के चला भी गया है।
प्यार की हर अदा निराली होती हैं "अभि" मैंने जाना है।
वो मुदत्तों पहले जा चुका है पर दिल उसी का दीवाना है।-
उम्दा ख़याल बसते हैं दिल में, लफ़्ज़ों की जादूगर है,
मंत्रमुग्ध होकर हूँ पढ़ता, इनकी कलम का ऐसा असर है!-
अहसासों की बंदिश में फंस गया,
बन्दा मैं भी उम्दा ही था..
बस इस इन्सानियत में फंस गया।
- साकेत गर्ग-
ज़िंदगी एक पहेली है और इसे बुझने का अपना ही एक मज़ा है।
जो अरदास निकली हैं रब के घर से वहीं होगा जो उसकी रज़ा है।
जो कुछ भी होता हैं होता हैं उसकी मर्ज़ी से, कभीभी मत सोचना।
कि इस जहां में तू ओ मेरे साथी आज तक कुछ होता बे वजह है।
हसरतें, कोशिशें, तकल्लुफ़, दबदबा, कवायतें सब आज़मा लिया।
क्या पता किस "सहर" आने वाली वो भोर वो उजली सी सुबह है।
कि रास्ता अब तक देखता हूँ मैं तेरा ओ जाना, अब तू आ भी जा।
अब ज्यादा दिन टाल नहीं सकता मौतको, जीने की तू ही वजह है।
बहुत हो चुका इश्क़ का ये बाज़ारी खेल-तमाशा, बंद करो मदारी।
हमसे इस खेल में तालियों की उम्मीद मत करना, हम बेवजह है।
अच्छा तो तुम भी तिज़ारत-ए-इश्क़ वाले हो, यहाँ से चले जाओ।
हमारे हिस्से आज तक नहीं गिरा इश्क़ का सिक्का, अपनी सज़ा है।-
कहते हम कुछ नहीं
शिकायतें तुमको बड़ी थी..
सो भेज दी एक शायरी तुम्हें
ख़ास जो सिर्फ़ तुमपर ही लिखी थी..
मुस्कुरा दिए तुम भी,
एक नज़र मेरी ओर देख
फिर ख्यालों में डूब गए..
लफ्ज़ो की गहराई शायद
दिल को तुम्हारे छू सी गई थी..
समझ थी कितनी मेरी तुम्हें
वाकिफ़ आख़िर हो ही गए हम उसी पल..
जब कौन है वो उम्दा शख्सियत
सवाल तुमने कर दिया!-
इम्तिहां करीब है
ठोकर खा कर भी कोई तजुर्बा न मिले
ग़म से कोई भी अलहदा न मिले
तो समझ लीजिए कि इम्तिहां करीब है
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