न वर्ष नया, न हर्ष नया
न जीवन में कोई स्पर्श नया।
न पहले जैसी दृष्टि है
लगता क्यों तेरा दर्श नया।
बेमन से मौन क्यों लादा है
न करने को कोई विमर्श नया?
थम सी गयी है क्यों ये कथा
आ जोड़ जा कोई उत्कर्ष नया।-
# 18-07-2021 # काव्य कुसुम # उत्कर्ष #
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जीवन में प्रतिक्षण नवीनता व परिवर्तन ही जीवन का अर्थ है।
जीवन में जीवन रस के बिना जी लेने से भी जीवन व्यर्थ है।
परिवर्तन व नवीनता का आकर्षण ही हमारे जीवन का उत्कर्ष है -
जीवन में बदलाव की उत्क्रांति की लौ बिना जीवन अनर्थ है।
===============गुड मार्निग ==========-
# 03-06-2022 # गुड मार्निंग # काव्य कुसुम #
# उत्कर्ष # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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परिस्थितियों का गुलाम बन जाना ही जीवन की सबसे बड़ी पराजय है।
परिस्थितियों को अनुकूल बना लेना ही जीवन का सबसे बड़ा उत्कर्ष है।
प्रतिकूलता में भी अनुकूलता होना जीवन की सबसे बड़ी विजय है।
प्रतिकूलता में भी होंठों पर मिठास होना जीवन का सबसे बड़ा उत्कर्ष है।
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#21-04-2022 #काव्य कुसुम #जीवन का उत्कर्ष #
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जीवन का उत्कर्ष संघर्ष में नहीं सहयोग में है ।
जीवन का उत्कर्ष संपन्नता में नहीं समता में है ।
जीवन के उत्कर्ष के स्वरूप को जान लीजिए -
जीवन का उत्कर्ष राग-द्वेष में नहीं ममता में है ।
************ जय श्री राम *************-
# 29-10-2021 # काव्य कुसुम # रुतबा #
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जीवन में मिलते हैं घटिया भी लोग पर कभी उन्हें घटिया मत कहिये।
घटिया लोगों की भी तारीफ़ कर उनका घटियापन हँसते-हँसते सहिये।
अपने जीवन को उत्कर्ष मिलेगा और रुतबा बढ़ता ही जाएगा -
अपनी ही मस्ती में रह कर मस्त-मस्त सदा जीवन भर हँसते-हँसाते रहिये।
==गुड मार्निंग==जय श्रीकृष्ण == शुभ प्रभात ==-
जीवन का उत्कर्ष दुर्भावना में नही सद्भावना मे है ,
जीवन का उत्कर्ष उत्तेजना में नही संवेदना में है ,
आस्था -विश्वास की डोर टूट सी गई है जीवन में आज -
जीवन का उत्कर्ष कटुता में नही सदाशयता में है ।
# प्रमोद के प्रभाकर भारतीय-
# 22-10-2022 # गुड मार्निग # काव्य कुसुम #
# सत्ता # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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सत्ता के उत्कर्ष का सत्ताधीशो को बहुत गुरूर है।
सत्ता के मद में उनकी आँखों में सत्ता का सुरूर है।
उत्कर्ष के साथ पराभव भी सत्ता की नियति है -
सत्ता आज है कल नही होगी सत्ता महज् फ़ितूर है।
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क्या कहू उत्कर्ष तेरे बारे में
ना तू इंसान हैं, फ़िर भी हर कीसी को इंसान बनाता हैं |
ना तू परिंदा है, फ़िर भी होसले की उडान हम सब के लिये,लिये फ़िरता हैं |
ना तू समाज है, फ़िर भी एक आदर्श राष्ट्र निर्माण की सोच लिये फ़िरता हैं |
ना कोइ तेरा रुप,रंग, आकार है ,फ़िर भी किसी न किसी रुप मे विधमान है
और क्या बताउ मेरे उत्कर्ष के बारे मे वो मेरा दोस्त भी है मेरा राहगीर भी
जब कहू उसको, मेरे साथ हर वक़्त तैयार रहता है
यारो कोइ ओर नही वो मेरे निर्मल सर का उत्कर्ष एप ही है
उत्कर्ष एप की दुसरी वर्षगाठ पर हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई 😊😊🤗
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आधुनिकता का अंध,जिसमें ना है सुगंध
फूल और कीचड़ की,गंध एक मान ली
दूध और दही छोड़, रिश्तों को रहे निचोड़
घर की दीवार लांघ, स्वजनों की जान ली
फैशन की लिये आड़,नग्नता की आई बाढ़
दूषित किया समाज,ज्वानी ऐसे तान ली
संस्कृति अपनी भूल,पश्चिमी को देत तूल
पुरखों की आन बान, और संग शान ली
#उत्कर्ष #nkutkarsh-
अंधारलेल्या रात्रीला,
उषेची ओढ असावी.
गतीमान या जीवनाला,
उत्कर्षाची दिशा मिळावी..-