उड़ने के ख़्वाब तो है मगर मेरे पर गीले है,
इन आँखों की बरसात रुकती ही नहीं है।-
तो क्या हुआ जो तु गिर जाएगा।
जब तु गिरेगा तो तुझे चोट भी बड़ा गहरा आऐंगा।
कि उस गहरे चोट से तुझे दर्द भी बड़ा होगा।
अब तु ही बता अगर गिरेगा नहीं तो फिर जीवन,
में उड़ने का मजा कैसे आऐंगा।।-
उड़ने में बुराई नहीं है..
आप भी उड़ें..!
लेकिन उतना ही जहाँ से..
जमीन साफ़ दिखाई देती हो..!!-
पर सब रख के परे
मन उम्मीदें भरे
चाह उड़ने की ले
कूदना होगा ना
डर महज़ झूठ है
जान जाएं भले
सच को पाने मगर
जूझना होगा ना
कल की ख्वाहिश किए
जी रहे आज जो
डर जो फिसले अभी
कल को क्या पाओगे?
आज जी जो सके
आज ही के लिए
कल हो या ना हो कल
जन्मों जी जाओगे!-
दिल को भी उड़ने के लिए,
आसमां चाहिए!
खुलती हो जिनमें खिड़कियां,
वो मकां चाहिए.....!-
हर मौसम परिन्दे ने घर बनाया
पर उसे उड़ जाने की जल्दी बहोत थीं
ये सच हैं की हमारी दुनिया सँवर रही थीं
पर इसे बिख़र जाने की जल्दी बहोत थीं-
ज़िंदगी की दौड़ में अब थोड़ा फ़िक्रमंद हो गया हूँ
वरना शौक़ तो अब भी मुझे बादलों से ऊपर उड़ने का है-
जब हौसलों का परिंदा आसमान में उड़ने लगे
समझ जाओ कि वक़्त बदलने वाला है।-
उड़ने दो परिंदे को अभी शोख-हवा मे
फ़िर लौट कर बचपन के जमाने नही आते-