आराम - हराम हैं
युवाओं के कंधे पर परा *देश का स्वाभिमान है*
(सो गए) अगर हम तो देश को *कौन संभालेगा*
हम में नई ऊर्जा का जो बिकास हुआ ,
वो तो यूंही धरातल पें रह जाएगा ।
सुनो sone kudi हमें अभी बहुत दूर जाना है
गिरना है संभलना हैं पर भारत को फिर से
(विश्व गुरू बनाना हैं)
हर कोई हम सें *जिए* हमें ऐसा राष्ट बनाना है
आप कहती है हमें कि युवा थोड़ा आराम कर लो
नहीं मेरी Guriya मुझे जग-कर अपने साथ-साथ
तेरा भी नाम कर जाना है
👉बस हर कोई ले सके सम्मान सें
(मेरे 'वतन का नाम' )
बस पूरी दुनिया में ऐसा काम कर जाना हैं।।
---आराम-हराम है---
Jai Jawan , jai Kisan
Vande matram....
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आज जो बिस्तर में आराम से सो रहे है,
कल को ये ही अपने लिये काटे बो रहे है।-
कळत नाही इतक्या दिवसानी
ऑफिसला गेल्यावर काय करायचं..
पी.सी वर कविता लिहत बसायचं
की जेवण करून झोपी जायचं..
🤓🤓🤓😍😍🤓🤓🤓-
जब तक जिंदगी है तब तक आराम नही मिलेगा
आराम उसी दिन मिलेगा जिस दिन जिंदगी नही होगी।-
किस किस को याद कीजिये,
किस किस को रोइये,
आराम बड़ी चीज है,
मुंह ढक कर सोइये..-
चाहकर और जीना आज तक कोई जिया नहीं
बहाकर पसीना मौत मांगो जल्दी मिलता नहीं-
बनियान के एक विज्ञापन से प्रेरित:
बताया था नेहरू ने, माना था सबने
कि आराम आदत बने, तो बला है.
भला है इसी में कि मेहनत करें हम,
मगर आज हमको पता यह चला है --
नया नागरिक मध्यवर्गीय बाबू
जो विज्ञापनों की फज़ा में पला है,
बताता है जीवन में सबसे ज़रूरी
अहम बात 'आराम का मामला' है!
(दिनेश दधीचि)-
सिर चकराता है मेरा, कितना काम पड़ा हैं,
समय का है अभाव यहाँ , कहाँ आराम पड़ा हैं।
सुबह सवेरे उठके हम, सब जल्दी निपटाते हैं,
नित नयी उलझन लेकर हम, पोटली बनाते हैं।
धीरे धीरे, हर उलझन, पोटली से बाहर आती है,
सूरज ढलते ढलते वो, रूप नया दिखलाती है।
दिन भर के कामों से, हमको बहुत थकाती हैं,
अगले दिन के कामों का, एहसास दिला के जाती हैं।
फिर धीरे से रात दोबारा, आगोश मे यूँ ले लेती है,
सब उलझन दूर भगाके, प्यारी निद्रा देती हैं।
फिर भी जाने क्यों मेरा, सिर हरदम चकराता है,
समय के अभाव मे भी,कैसे आराम मिल जाता हैं।।।
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