संस्कृति तुम अपनी ज़िंदा हमेशा रखना,
इस दुनियाँ के चकाचौंद में ग़ुम न हो जाना,
तुम्हारी पेहचान ही तुम्हारी अस्तित्व है,
भूल ना जाना "आदिवासी" ही धर्म और कर्म है।-
"जय जोहर" बोलना स्वाभिमान है मेरा,
अपनी संस्कृति से जुड़ना अभिमान है मेरा,
"आदिवासी" हूं ये गर्व है मेरा।
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कला जीवन शैली,
वेशभूषा और सांस्कृतिक
विविधताओं को समेटे हुए
हमारे समस्त आदिवासी भाई बहन को
विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं
9 अगस्त-
आदिकाल के गौरव काल से जूझते रहे
अनबुझ पहेली बन पहेलियां बुझते रहे।
गिरी कानन नदी पूज्य यह प्रकृति सदा
आदि अनादि पहचान है संस्कृति सदा।
मिट्टी से लगाव नदी आस्था घट घट में
अरण्य के रक्षको की श्रद्धा नीम वट में।
आंदोलन में कूद पड़े बरछी तीर कटार
ललकार गुंजित जय जोहर जय जुहार।
शबरी के जूठे बेर राम के भाग्य जागे
बांहे फैला राघव खड़े निषाद के आगे।
योद्धा बब्रुवाहन बर्बरीक व एकलव्य है
त्याग नगपति वीरों की वीरता भव्य है।
बिरसा टंट्या क्रांति-वीर प्राणदायक है
शंकरशाह बलिदानी वीर भिमानायक है।
माँ दुर्गावती की कुर्बानी सदियां गाती है
जग उपेक्षित करते गीत नदिया गाती है।
हल्दीघाटी का योद्धा अपना पूंजा भाई
स्वाभिमानी मेवाड़ी ध्वज में जगह पाई।
ऐ कलम आदिवासी भाई को लेख जरा
गर्वित भारत-माता का चेहरा देख जरा।
हम तुमसे तुम हमसे सम्बंध अविनाशी है
भारतमाता की जय में जय आदिवासी है।
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प्रकृति पूजक आदिवासी
जय जोहार, जय आदिवासी का अभिवादन करते हैं
वर्ष 1994 से हम विश्व आदिवासी दिवस मनाते हैं
सिंधु सभ्यता भी साक्षी देती,आदिवासी सदियों से शिव,प्रकृति को पूजते हैं
फिर क्यों आधुनिक राजनीति के जयचंद, धर्म से आदिवासियों को ठगते हैं
भैरव,भौमिया, काली,अंबा आदि,जिनके घर-घर देवी-देवता होते हैं
भाले, तीर कमान बेधने वाले,आज अपनी विरासत बचाने को लड़ते हैं
आदिवासियों की शहीद-स्थली में, मानगढ़ धाम को मानते हैं
जहां की दर्द भरी कहानी तो, हर आदिवासी से सुनते हैं
आदिवासियों का कुंभ, बेणेश्वर धाम को जो जाते हैं
संस्कृति का पावन संगम,हर आदिवासी वहां पाते हैं
सीधे-सादे मूलनिवासी,आदिवासी सबसे हिल-मिल रहते हैं
धोखा पसंद नहीं इन्हें,जंगल में साँप, शेर,सबको पालते हैं
अपनी सांस्कृतिक विरासत बचाने हेतु,हर आदिवासी न्योछावर होते हैं
जय जोहार, जय आदिवासी, राम-राम की, हर आदिवासी वाणी बोलते हैं
🙏जय हिंद,जय भीम,राम राम,जय जोहार🙏
✍️कवि R. K BADGOTI
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हर तरह चल रही है तैयारी,
सबके जुबान पर है सिर्फ "जय जोहर" की वाणी,
इस विश्व आदिवासी दिवस पर दिखा देंगे सबको,
की हर आदिवासी में है जुनून कितना,
की देखते रह जायेंगे जलने वाले भी।
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जल जंगल जमीन के संरक्षक वो
प्रकृति और संस्कृति के रक्षक जो,
वेशभूषा विविधताओं को समेटे वो,
कला जीवन शैली को बचाये जो,
प्रकृति के उपासक आदिवासी वो।-
2nd part . . . .. . . . .
दौर है भले आज 21वीं सदी का ,
पर ना भूलना तुम ,उनके संघर्षों की लड़ाई
हर कुप्रथाओं के खिलाफ का. . . . . .
दिखती है जो बिरसा के वंशजों के ,
बिरसाईत में जो आज भी,
उसे जीवंत रखना दिल में तुम भी।
न भूलना हुल, कोल विद्रोह,और उलगुलानों को
याद रखना क्रांतिकारियों के बलिदानों को भी।
संपूर्ण विकास और अधिकार को उनके
संवैधानिक सुरक्षा और निर्वहन के,
पूर्ण दायित्व को उनके,
आच्छादित अब करना होगा।
उनके लिखी इतिहास के दस्तावेजों को ,
सहेजना ,समेटना , स्वर्णिम करना होगा।
है जो इस जलधारा के संवाहक,
मिल उनका संरक्षण करना होगा।
झारखंड को देश का सबसे संपन्न ,
समृद्ध और खुशहाल राज्य बनाना होगा।
है नमन. . .. . . .
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सभ्यताओं के विकास को जिन्होंने गति दी
आज वही आदिवासी विकास की दौड़ में पिछड़ रहे हैं।
वनों तथा वन्य जीवों के संरक्षक नदी झरनों के तट
पर जीवनयापन और पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने वाले वनवासियों की विकास ने भूमि छीन ली! वन्यजीव और बहुमूल्य वनस्पतियाँ शनै:शनै: समाप्त हो रही हैं।
बहुत सी तो लुप्तप्रायःहो गईं हैं प्रजातियाँ।
वन नहीं काट रहे, अंगभंग किये जा रहे हैं वनवासियों के।😢
#आदिवासी_दिवस-