“माँ”
वो सवेरा है जिसका कभी न अस्त हो
सूर्य, न होता जीवन में अँधेरा!
घर को घर बनाती जिसके होने से
रौशन घर-आँगन चहकता बसेरा है।-
स्वरचित✍️✍️
Don't copy ❌
6 January🎂 💓Published Author..✍... read more
“पिता”
यदि जनक जैसा हो तो,
“सुता”
जानकी हो सकती है।
“पुत्र
सूर्यपुत्र कर्ण
जैसा तेजस्वी भी
यदि अवांछित हो तो
माता कुंती हो सकती है!”-
राठौड़ा राजपूतां के साहस की पहचान हूँ
महाराणा प्रताप, राणा कुंभा का अभिमान हूँ
हाँ! जी मैं राजस्थान हूँ!
©अनिता सैनी
क्षत्रियों के शौर्य का जीता जागता प्रमाण हूँ
राणा सांगा, पृथ्वीराज चौहान का स्वाभिमान हूँ
वीरांगनाओं की गाथाओं का गुणगान हूँ
माघ, मीरा, चन्द्रबरदाई का जन्मस्थान हूँ
पांडवों के अज्ञातवास का ज्ञातस्थान हूँ
स्वर्णिम इतिहास का सजीव प्रमाण हूँ।
रीति-रिवाजो संस्कारों से जुड़ा वर्तमान हूँ
लोकप्रियता में भारत का बढ़ाता मान हूँ
अतिथि देवो भव कथन पर विराजमान हूँ
चहुँ ओर निराली छटा से शोभायमान हूँ।
मैं कहलाता रेतीला रेगिस्तान हूँ
पर कई आविष्कारों की खान हूँ।
बालू पे इतिहास लिखता विज्ञान हूँ
मरूधर हूँ पर मैं झीलों का भी प्राण हूँ
सबका शीश झुकाकर करता सम्मान हूँ
पधारो म्हारै देश यही करूँ सदा आव्हान हूँ।
-
प्रथम प्रेम पाती की पहचान है।
अब तक दिए गए उपहारों में
सर्वश्रेष्ठ उपहार दान है।-
ज़िंदगी के कुछ लम्हें, बेजान खाली कप से होते हैं
जिन्हें भरने के लिए, कुछ घूँट प्रेम चाहिए होता है।-
जद बी परिवार में गलत हो वै
सगळो ओळमो ळुगाई नै ही मिळै
आच्छ्या को सेरो मोट्याराँ क सिर बँध
बुरो बुरो सगळो ळुगायाँ क गलै पड़ै-
“पुरूष ने केवल आलोचना के लिए ही
स्त्री को नहीं चुना! अपितु
हास्य-व्यंग्य और मनोरंजन के लिए
भी स्त्री को ही चुना!”-
“स्त्री ने कभी भविष्य नहीं चुना
केवल प्रेम चुना।
यद्यपि!
प्रेम उसे विरला ही मिला!
प्रेम में अधिकांशतः
ठगी गई है
स्त्री!”-
“दिसंबर की तक़दीर भी मुझ सी है!
दोनों सबके लिए
अच्छा अच्छा सोचते हैं
मगर
अंत में बुरे बन जाते हैं,
सब बुराइयों का ठीकरा हमारे
सर फूट जाता है।”-