अल्बर्ट आइंस्टीन के कमरे में लगी दो तस्वीरों में से एक महात्मा गांधी की ही क्यों थी?
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देवी तुम सन्तोष की उत्कर्ष हो ,
तुम दीप , तुम हमारी आदर्श हो ..
ये संसार तुमसे ही है निर्मित ,
तुम हमारी माता, सम्पूर्ण भारतवर्ष हो ...-
क्या है ज़िन्दगी....
ये ज़िन्दगी हमारी है!
ये कितनी प्यारी है?
ये कितनी हमारी है?
संस्कारों की बेड़ियां,
आदर्शों की नीतियां,
परम्पराओं की गुलामियां,
ज़िन्दगी की लाचारी है,
ये कितनी प्यारी है ?
ये कितनी हमारी है?
दुसरों का ही सोचना,
इच्छाओं का गला घोंटना,
जीवन को ही कोसना,
सांसें तो हमारी है,
हुकूमत ही जारी है,
ये कितनी प्यारी है?
ये कितनी हमारी है?
मजबूरियों की महामारी है,
ये ज़िन्दगी हमारी है!
ये कितनी प्यारी है?
ये कितनी हमारी है?-
बातों - बातों में चेहरा म्यान रह गया
और तेज़ ज़ुबान तलवार बन गयी !!-
पसंद नापसंद से,
शख्सियत झलकती है,
ओर किरदार बना करतें हैं।
इससे फर्क नहीं पड़ता!
आप कौन हो, क्या हो...!!
लेकिन इससे बहुत फर्क पड़ता है,
आप क्या बनना चाहते हैं....!!
जिनको आप आदर्श बनाते हैं,
जीवन में जिनका अनुसरण करते हैं,
वैसा ही आपका व्यक्तित्व बनता हैं।-
Good friends are so rare.
So hold unto them and treat them well.😊-
हमारे बचपन को खिलना सिखलाते हैं ,
नन्ही उंगलियों से लिखना सिखलाते हैं ।
घर मे माँ समेटती है आँचल में ,
विद्यालय में गुरु ही माँ -सी ममता लुटाते हैं ।
हमारे आँखों मे सपने बुनते हैं ,
हमारे लिए जीवन के आदर्श चुनते हैं ।
स्वयं का जीवन हमपर कर समर्पित ,
हमारे जीवन को उत्कर्ष पर पहुँचाते हैं ।
ठोकर लगती है जब हमें ,
वो किसी न किसी रूप में
आकर हमें मार्ग दिखाते हैं ।
हौसलों को पंख देते हैं और जीवन को लक्ष्य ,
शायद इसीलिए वो हमारे शिक्षक कहलाते हैं ।-
गुरु
सौभाग्यशाली हो अगर गुरु हैं पास तुम्हारे ।
जो करते हैं समय समय पर सदमार्ग तुम्हारा,
जो सिखाते हैं सफलता की सीढ़ी पर चढ़ना।।
जो बताते हैं तुमको मेहनत करने का तरीका,
जो होते हैं खुश देखकर तुम्हारी सफलता।।
जो देते हैं ज्ञान तुमको किताबों से बढ़कर,
जो बनाते हैं महान तुम्हें खुद से भी बढ़कर।।
ऐसे गुरु को मेरा सत - सत नमन है।।
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकानाएं 🙏
-Bharti Gupta ✍️
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