अरमानों को पंख लगा हम
हैं उड़ने को तैयार गगन में ।
मन का पंछी चहक रहा है
लग गया वो नई लगन में ।
बहुत जी लिए मर मर कर
नहीं जिया जाता घुटन में ।
चीर निशातम हम निकलेंगे
कर लिया अब प्रण मन में ।
जीवन है गाथा संघर्षों की
नहीं झुकेंगे किसी चरण में ।
हर पथ बाधा को पार करेंगे
मेहनत करेंगे जीवन रण में ।-
ऐ सुनो...आज मैंने लिखा है तुम्हें, बस..... इतना जान लो कि मैंने लिखा है तुम्हारी सादगी को, लिखा है तुम्हारी सौम्यता को, लिखा है तुम्हारी मासूमियत को, लिखा है तुम्हारी खामोशियों को....More See in caption
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मैं सोचता रहा कि तू रूठा है जरा सा नाराज़ है मुझसे,
पर पता चला कि तुझे जिसका इंतजार था वो तो है वहां।-
तासीर तेरे मुहब्बत की है कुछ इस तरह,
मुझसे दूर रहकर भी,तू मुकम्मल है यहां।-
एक औरत की खामोशी
हर कोई नहीं समझ सकता...
बाहर से भले मुस्करा रही है
पर अंदर अकेलापन...
बस अकेलापन...
हल्की मुस्कराहट लिए हुए
दर्द को छुपाती हुई,
रसोई का काम,
सास ससुर के ताने,पति की डांट,
बच्चों की जिद पूरी करना।
सब कुछ सहती है
बस कह नहीं पाती
इस मुस्कराहट के पीछे
अनगिनत तूफ़ान चल रहे होते हैं
हर किसी के बस में नहीं
कि वो औरत को समझ सके।
पुरुषप्रधान देश में औरतें
बिस्तर और रसोई तक सीमित
रह गयी है...।।
✍️अरविन्द कालमा-
अजनबियों से मुलाक़ात का होना एक इत्तेफाक है तो उनसे बातों का होना खुदा की नियति, मिलकर बिछड़ना जीवन की रीति है लेकिन.. Plz see caption
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.......लहरों के गुजर जाने के बाद समन्दर जैसी ख़ामोशी उसके चेहरे पर साफ़ झलक रही थी,भरी हुई आँखों से शून्यता की ओर देखती नजरें बहुत कुछ कहना चाह रही थी लेकिन.... Plz see caption
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