जोश युवा का
युवाओं के हाथ में है आज वतन की बागडोर
भारत का है मजबूत युवा नहीं कोई टूटा कमजोर।।
शाम दोपहर हरपल वो मेहनत करने वाले होते
उठते हैं नए सपनें लेकर जब खिलती है सूरज संग भोर।।
कतरा - कतरा अमूल्य खून का देने को तैयार
शांति का जो पथ ना छोड़े चाहे जीवन ले जाए जिस ओर।।
शान्ति अमन की बात पर ये हो जाते हैं कोमल
जब दुश्मन आँख दिखाए तब सीना करे कठोर।।
नारी का सम्मान करे , बूढ़ों का बनते सहारा
थामें रखता हरपल वो मजबूत अपने मन की डोर।।
जात पात का भेद नहीं हर दिल में हो बस एक ही नारा
मानवता का दीप जलाने चलता चल बिन देखे ठौर।।
आह्वान करे हर युवा देश का आन बान पर मिटने को
वतन की रक्षा की खातिर वो करता चले पथ पर नित शोर।।
दीन हीन का मसीहा हो पिछड़ों का हो जो आधार
जीव जीव का संगम हो ना रहे मन में कोई चोर।।
©® अरविन्द कालमा-
दो मीठे बोल की खातिर बस शहर में मैं आया हूं।
- अरविन्द... read more
रिमझिम बरसात और काली घटा घनघोर है।
मन्द मन्द समीर चली पंछियों का शोर है।
बुझी प्यास रेत की,कहीं टूटी मेड़ खेत की
नदियां नाले उछल पड़े बस पानी का ही जोर है।
बिजली कौंधी और बरसे मेघा रातभर
बिन सूरज बादलों ने आज नहलाई भोर है।
अमृत बनके बरसी बरखा हर घर आंगन
रौनक लौटी चेहरों पर खुशहाली चहुँओर है।
जमा लिया है डेरा चाय और पकोड़ों ने
साथ में ग़र तुम भी हो मजा ही कुछ ओर है।
©®✍🏻अरविन्द कालमा-
मूमल-महेंद्र, ढोला-मारू कह गए
मोहब्बत करने वाले पन्नों में रह गए
तुम्हारी आँखों में कहाँ बसते हैं हम
आंसुओं के साथ कब के बह गए
ख़्वाबों में बुने थे कई आशियाने
मूर्खों की मूर्खता में सारे ढह गए
इश्क़ में दर्द,ग़म,तड़प और आंसू
जो जो मिला हमको सारे सह गए
पता था 'अरविन्द' साथ ना होगा
फिर भी मोहब्बत करने बेवजह गए
©®✍️अरविन्द कालमा-
तुम्हारी लेखनी नशीली शराब,कलम की पैनी धार हो
दे सुकूँ दिल को गले का ऐसा कोई हार हो।
होंठ लाल सुर्ख आँखें जब चमकती आईने सी
महकती बिखरी है ये जुल्फ़ें दिल का ये गुलजार हो।
जब से तुमको देखा हमने यूँ लगा कि चाँद हो तुम
हो ये गलियाँ रोशन सारी जब तुम्हारा दीदार हो।
दूर हो अंधियारा सारा हर फ़िजा रोशन रहे
हर ख़ुशी तुमको मिले वो जिससे तुमको प्यार हो।
फूल बिछा दूँ राहों में, बगिया महका दूँ बाहों में
अब हमारे बीच ऐसी कोई नहीं दीवार हो।
ज़र्रा ज़र्रा खिल जाता है मीठे अल्फ़ाज़ों से ही
क्रांति लाए न्याय की खातिर ऐसी कलम की धार हो।
लम्हा लम्हा साथ रहेंगे, दोस्त हम मजबूत बनेंगे
यूँ ही महकते रहना सदा, हर लम्हा यादगार हो।
भरे हर घाव तेरा न हो काँटों में पाँव तेरा
तेरी राहों में यूँ ही हरपल महकते फूलों की बहार हो।
दोस्त अपर्णा हमारी दोस्ती बनी रहे हरपल,सदा
कोई न बीच में आए हमारे कभी न कोई दरार हो।
🎂🌺जन्मदिवस मुबारक हो
टीचर अपर्णा ध्रुव जी (छत्तीसगढ़) हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।💫🌈🌹🌹
✍️अरविन्द कालमा-
जो हाथ हमने थामा है, निभाएंगे हर जन्म मिलकर।
ना हारेंगे ग़म की आँधियों से, बढ़ाएंगे कदम मिलकर।
बेशक बदनाम करे दुनिया, बेशक जहर पिलाए ये
ना टूटे हैं ना टूटेंगे, सहेंगे तम हमदम मिलकर।।
©®✍️अरविन्द कालमा-
पीकर रस ग़ज़ल का, नित बड़ी हो रही है।
तेरी सरगम भी, हर दिन हरी हरी हो रही है।
मैं मक्ता हूँ, जिस ग़ज़ल का, मतला है तू उसका
जम रही है ताल, हर शेर में तू खड़ी हो रही है।
गढ़ रहा है, हर पत्थर तेरा, नव नित मुरत में
ना जाने क्यों, हर अपराध से बरी हो रही है।
बातों में है शालीनता, जज्बातों में है सुशीलता
तेरे आँगन में ही क्यों, खुशियों की झड़ी हो रही है।
आफ़ताब सी सूरत तेरी, फीकी है हर चांदनी
निखरकर निशदिन तू, आसमां की परी हो रही है।
©®✍️अरविन्द कालमा
भादरुणा, साँचोर (राजस्थान)-
मेरी जन्नत मेरे पापा
(फादर्स डे)
मेरे पापा की रहमतें मुझ पे सदा जारी है।
दुआओं का पलड़ा उनका सबसे भारी है।
मिलती है हर कदम पे मुझको सौगातें
ज़र्रा ज़र्रा ही उनकी कर्जदारी है।
रख हाथ सर पे दिया हर कदम साथ
सारे रिश्तों से प्यारी पापा की यारी है।
मेरी जन्नत मेरी मन्नत वो ही दौलत सब
मेरे पापा में ही समाई ये दुनिया सारी है।
"अरविन्द" क्या लिखेगा तू तेरे पापा पर
जिनकी हस्ती जहां में सबसे न्यारी है।
©®✍️अरविन्द कालमा
भादरुणा, साँचोर (राजस्थान)-
गुलाब के मयखाने में,एक कली उतरी निखरने को।
देख चेहरा मुस्कुराता, शबनम लगी बिखरने को।
नजाकत तेरी गुलाम, उल्फत तेरा आईना
चांदनी के आंचल में, आज चांद चला उतरने को।
हवाओं ने सलाम भेजा, फिजाओं ने कलाम भेजा
वक्त भी दीदार को तेरे, वक्त को लगा कुतरने को।
कह रहा है आसमां, रुक जाए ये समा
कत्ल की साजिश ना हो, वक्त ना हो मुकरने का।
जन्मदिवस मुबारक तुमको, पैगाम है अरविन्द का
कौशल्या की यारी देख, तम चला सुधरने को।
©®✍️अरविन्द कालमा-
तुम कहते हो रह लेंगे हम!
अरे तुम तो क्या हम तुम
दोनों नहीं रह पाएंगे...
एक पल भी एक दूजे बिन
हमें पता है आप हमें
हर पल याद करते हो
तो तुमको हम कैसे भूल सकते हैं!
इश्क़ मुकम्मल करने का सफर
अभी अभी तो शुरू हुआ है
पथरीले रास्ते आयेंगे
उलझनें भी आएगी...
सबका सामना करते हुए
दुनिया की परवाह किये बिना
हमें आगे बढ़ना है
हमारी हर बात में मोहब्बत है
फिर चाहे तकरार हो
या हल्का सा गुस्सा हो
पर उसी में मोहब्बत छुपी है
ये हम दोनों जानते हैं
तुम चारों ओर देखोगे
तुम्हें मोहब्बत नज़र आएगी
वो भी सिर्फ हमारी रची हुई
क्योंकि आप हमें और
हम आपको महसूस करते हैं
ख़्वाबों में नहीं हकीकत में...
देखना इस रिश्ते को मजबूती मिलेगी...!
✍️अरविन्द कालमा
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