Akanksha   (©आकांक्षा मगन “सरस्वती”)
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ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।
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Joined 19 January 2020


ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।
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Joined 19 January 2020
22 JUN AT 21:34

ख़्वाब में आते हो,हक़ीक़त में दिखते नहीं,
लगता यूं है कि सपने कहीं भी बिकते नहीं,

मगर फिर अमीरों की बस्ती याद आती है,
कि क्यों खुदा उन सी क़िस्मत लिखते नहीं,

वो तो चांद ख़रीद अपना कमरा सजाते हैं,
और हमें तो जुगनू तक कभी मिलते नहीं,

चाहत है कि तुम्हें अपना आज बना लूं मैं,
मगर तुम्हारी अदाओं में इशारे करते नहीं,

कभी तो चाहत करो नज़र भर नज़र आओ,
क्यों छुपते हो जब कहते दुनिया से डरते नहीं,

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22 JUN AT 6:23

नवरंगी जीवन को खूंटी से टांगकर ना कीजिए ख़त्म,
लुटाइए सिर्फ़ खुशियां किसी को भी ना दीजिए ज़ख्म,
फिर देखना किसी रोज़ सुकून भी ढूंढ लेगा घर तुम्हारा,
हो जाओगे धनी घर-ओ-आंगन में भर देगा कीमती रत्न,

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22 JUN AT 6:19

खुशियों को ख़रीद नहीं सकते,
तो फिर एक बार बांटकर देखिए
हो सकता शायद दोगुनी हो जाएं।

कहते हैं कि दर्द बहुत है जहां में,
ग़ैर के आंसू पोंछकर देख लीजिए,
शायद उपजते हर दुःख खो जाएं,

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21 JUN AT 22:18

अपना ख़ुदा माना है तुम्हें,तुम्हारी बंदगी करते हैं,
काबिल-ए-तारीफ़ हो,तुम्हारे नाम जिंदगी करते हैं,

लाखों खूबियां हैं तुममें,इसलिए एहतराम करते हैं,
आयत की तरह पढ़ते,हर लब्ज़ में इकराम करते हैं,

शामिल हो तुम दुआओं में मेरी, मेरी मन्नत हो तुम,
तुम हो मेरा जहान, मेरी दुनिया, मेरी जन्नत हो तुम,

हर तरफ़ बस तुम ही तुम हो किस तरह इज़हार करूं,
तुमसे शुरू,तुम पर ही ख़त्म हूं और कितना प्यार करूं,

रात में संग-संग चलती दिखती-छुपती छाया तुम्हीं हो,
बनकर छाँव बचाती,ओढ़ाती दिन का हमसाया तुम्हीं हो,

हरदम बस तुम्हें ही चाहा,बस एक तुम्हारी चाहत रहेगी,
दूर जाकर भी मेरे ही रहना, इस दिल को राहत रहेगी,

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21 JUN AT 22:04

हमेशा थामकर रखना अपने करीबी रिश्तों की डोर,
ना खींचना कहीं ना टूट जाए,उधड़ ना जाए कोई छोर,

हर कहीं तो आती ही है अंधेरी रात का साया कभी-कभी,
मगर घबराना हरगिज़ नहीं हर रात के बाद होती है भोर,

ना डरो कि दूरियों से टूट जाते हैं रिश्ते या ख़त्म होते हैं,
अपने तो अपने होते ना खोते हैं,ना ले जाते हैं उन्हें चोर,

तुम बस अपनी कोशिशें जारी रखना,कोई ना रूठेगा,
ना करना दिखावा,क्योंकि बहाने तो बनाते हैं कमज़ोर,

मत हारना हिम्मत थामे रखना हाथों में रिश्तों की डोर,
फिर देखना एक दिन खुशियों की बारिश होगी घनघोर,

तुम्हें साबित करनी होगी नीयत,ये वक़्त ही कुछ ऐसा है,
जब हर तरफ़ है बेईमानी,है सिर्फ धोखे,फ़रेब का है शोर,

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20 JUN AT 20:56

नफरत की साजिशों में मोहब्बत फंसकर रह गई,
दर्द पाया इतना कि असलियत आंसुओं संग बह गई,

हर रोज़ गालियां खाती है मगर उफ़्फ़ तक ना करती,
बदबख्त,बेहया,ये दुनिया इसे जाने क्या-क्या कह गई,

उसे वक़्त ही कहां अपने यार से नज़र हटा देखे जहां,
वो अपने आशिक़ के नाम पर हर ज़ुल्म भी सह गई,

इश्क़ पर यकीं ही मुहब्बत को मंजिल तक ले जाता है,
कच्ची दीवार थी भरोसे की ज़रा सी बारिश में ढह गई,

बड़ा बेरहम है ज़माना आंसुओं पर तरस नहीं खाता,
बेचारी मुहब्बत खो गई ढूंढो,बेइमानी लहरों में बह गई,

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20 JUN AT 8:35

जीने के और भी बहुत से तरीके थे मगर,
मैंने चुना तुम्हें प्रकृति,मेरी दोस्त की गोद में रहना,
🌼🍂🌼
तुम्हारी भीनी भीनी सुगन्ध में महक जाना,
डूबना धाराओं के बहाव में,हवाओं के संग बहना,

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19 JUN AT 9:34

कैसे भूले कोई चिड़ियों का चहचहाना,
फूलों का झूमना, खेतों का लहलहाना,

चूम लूं दिल कर रहा है कलियों को अभी,
पुकारूं हवाओं को,बुलाऊं परियों को अभी,

आकर खेलें संग फिर से बचपन की तरह,
सुनाएं कहानी नानी की पचपन की तरह,

सारी सुगंध भर लूं अपनी इन्हीं दो बाहों में,
लगा लूं गले जो भी मिल जाए इन राहों में,

सिलवा दूं सुंदर दो कुर्ते इस पौधे के लिए भी,
इन्हें भी सजा दूं,लगा दूं काजल,काला टीका,

सच में बहुत,बहुत ही सुंदर हो तुम प्रकृति...
और मुझे अथाह प्रेम है तुमसे प्यारी प्रकृति।

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19 JUN AT 9:24

शहर में लगे हैं ये इश्तिहार छपने ही,
कि मेरे क़ातिल हैं ख़ुद मेरे अपने ही,

मगर हम ही ना उठा सके क़दम कोई
शायद इसलिए ही तो टूट गए सपने ही,

अपने असल क़ातिल हम ख़ुद होते हैं,
अब ना दुःख होंगे कम,ना ही हैं घटने ही,

ना हो सकी लाई चुपड़ी किसी की हमसे,
इसलिए अपने,गैरों के नाम लगे जपने ही,

पीठ पीछे ना मारो चाकू, ना बेचो ईमान,
ना रही असलियत,ज़मीर लगे हैं नपने ही,

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19 JUN AT 7:52

जिंदगी की तमाम रातें ये सोचकर ना सोए तुम
कि तुम्हारे बारे में आख़िर उनकी राय क्या होगी,
मगर एक दफा देखो तो सही तुम आँखें अपनी
मुरझाया चेहरा,सूजी हुई आँखें क्या तुम्हें पसंद हैं?

जो सबकुछ ईश्वर पर छोड़ देते हैं वो निडर रहते हैं,
होना वही है जो होना था,तो तमाशा देखो तुम भी,
क्योंकि सबसे भरोसेमंद पर भरोसा किया है तुमने,
तो फिर यकीन टूटने का तो सवाल ही नहीं उठता।

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