लड़कियों को चाँद तारे तोड़ लाने की बजाय उन्हें बर्तन धोने के वादे कीजिये लडक़ी जल्दी इम्प्रेस होकर हाँ बोलेगी 😁
#परम्_ज्ञान
#Psycho_Writer✍
#Мя_NiЯwAnDaЯ★★★
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क़ातिब हूँ जज़्बातो को कलम से बया कर दूँ
गर तबियत से लिखुँ तो पुराने ज़ख्म भी नया कर दूँ
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Ek ldki ko....
,,,,,,,,,"RESPECT" se jada aur kux nhi Chahiye hota,,,,,,,,,-
दोस्ती क़ातिब से मेरी कुछ यूं है,
कि मेरे दर्द को लफ़्ज़ों में पिरोती है क़ातिब...!-
क्या ख़ूब क़ायनात बनाई है तूने ख़ुद के शब्दों से ए क़ातिब,
जब भी पढ़ता हूँ तेरा लिखा, रूह-ए-सुकून नसीब होता है।
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हर दफ़ा उदास दिल मे बहुत से ख़्याल आते है
क्यों कश्मकश में उलझी ज़िन्दगी ये सवाल आते है
वक़्त-बेवक़्त चलने वाली ये क़लम रूठी है आज
अश्क़ो की तौहीन या क़ातिब के बवाल आते है
मग़रूर नही शख़्सियत मेरी दिल तन्हा जरूर है
खुदपसन्द हूं फ़िर क्यो वो अपना रंग बदल आते है
अपनो की सौग़ात से मिले खंज़र भी सह गए हम
फ़रेबी इंसा भी नक़ाब बदल दिखाने मलाल आते है
इस जहाँ में 'दीप' ख़्वाहिशों को दफ़न कर लेना
मौत की किश्तों से मिली ज़िन्दगी खैर कुबूल आते है
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कुछ कहानियाँ दर्द में इतनी ज़्यादा
डूबी होती हैं, जिनको दिल के कुएँ से
बाहर निकालने में क़ातिब को भी डर
लगता है, डर लगता है कहीँ कोई रो ना दे
पढ़कर कहानी उसकी।-
हमें तो शब्दों से मोहब्बत हो जाएँगी
जब से मेरे कातिब से हमे दोस्ती हुई है-
कुछ वज़हें लाज़मी, है कुछ मशरूफ़ियत भी
जो क़लम ने अब तलक कुछ लिखा नहीं
हैं बेताब तमाम जज़्बात बिखरने को कागज़ पर
वरना नामुमकिन है के क़ातिब को कुछ दिखा नहीं
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क्या ख़ूब दर्द लिखा क़ातिब ने
क़लम को सरताज़ बना दिया,
चुभो-चुभो कर क़लम कागज़
के पन्ने पर, कागज़ को भी दर्द
का मोहताज़ बना दिया।
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