पल में "है" को "था" में बदल देता है
ज़िन्दगी जीवन व्याकरण कुछ यूँ सबको समझा देता है-
मिटा देंगे हर नफरत काे अौर इस कदर हर रिश्ता निभाऐंगे,
गर खड़ी रहेगी नफरत रास्ते पर उसे भी हम प्रेम के जल में भिगाकर रब जैसे सागर में मिल जाएंगे!-
तुम जैसे भी हो, तुम्हें बर्दाश्त करना
मेरी कोई मजबूरी नहीं...मेरा प्यार है-
जो दिन-रात आँखों के सामने रहती थी
आज वह कभी-कभी नजर आती है
बेटियां होती है चिड़ियाँ खुले आसमां की
एक दिन फुर से उड़ जाती है-
ये सच है कि तुम मेरे दिल की दुआओं में बसते हो,
जीवन के खालीपन को अपनी मुस्कान से भरते हो।
हाॅं, ये सच है मेरा हर स्वप्न है तुम्हीं से जुड़ा हुआ,
तुमसे ही है अरमानों की उड़ान तुम्हीं नयनों में रंग भरते हो।
सजल नयन जब तुम्हें पुकारे नैनों की भाषा पढ़ते हो,
और किंचित से स्पर्श मात्र से अंतस पीड़ा को हरते हो।
पतझड़ में वसंत तुम्हीं और तुम्हीं सावन की हरियाली,
ठहरे-ठहरे से जीवन में तुम्हीं प्राणवायु सी बनते हो।
ये भी सच है कि मेरे दिल की आस तुम्हीं विश्वास तुम्हीं,
खिल जाती है जिंदगी जब ठंडी फुहार बन बरसते हो।
......... निशि..🍁🍁-
है अगर इश्क़ गुनाह तो........
गुनहगार तुम भी हो.....
इस मोहब्बत की पहली कसुरबार तुम ही हो........-
आज विश्व साक्षरता दिवस है
ज्ञान ही धन है
ज्ञान और
अर्जित करने
चल पड़ा तेरी ओर मे
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