पीठ पर परे दाग काे आंचल ,
से छिपा लेती है ।
सूजे लबाें पर,
लाली सजा लेती है ।
निस्तेज आँखाें में ,
काजल लगा लेती है ।
ये औरत है साहिब ,
तेरी एक चुटकी सिंदुर की खातिर ,
मुस्कुरा के, तेरे सारे गुनाह
छुपा लेती है..-
खूबसूरती पे अपनी बेशक तुझे गुरूर होना चाहिए
लोगों की बुरी नजरों से भी तुझे दूर होना चाहिए
चांद सी लगती है माथे की बिंदी,बस एक कमी है
मांग में तेरी मेरे नाम का सिन्दूर होना चाहिए-
इक चुटकी सिंदूर की कीमत हमने उनसे पूछ ली
जिन्हें सिंदूर का महत्व ही नहीं पता
तुमने पहलगाम में हमारे 28 मारे थे
हमने तुमसे तुम्हारे छिपने की जगह ही छीन ली
पाकिस्तान के इरादे ना पाक है
शायद इन्हें 1947,65,71 और 1999 के नतीजे न याद है
वक्त है इन नतीजों को दोहराने की
पाकिस्तान और दुश्मनों को उनकी औकात याद दिलाने की
विश्वास हैं हमे अपनी तीनों सेनाओं पर
मिट जाएंगे पर आंच न आने देंगे
भारत मां की गरिमा और लोगों की भावनाओं पर-
कब तक झुकते रहें?
जमाने के दस्तुर की कीमत पर
बेपनाह सा नफरत है मुझे
चुटकी भर सिंदुर की कीमत पर।।
मेरा पाक मोहब्बत
जो अपनें शौहर के कैद में है
हर रात वो लुटता है उसे
उसी सिंदुर की कीमत पर।।
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