मैंने कब कहा ऐ ऊपर वाले,
मुझे कभी रोने मत देना
बस तेरे अलावा कहीं और झुकना पड़े,
ऐसा कभी होने मत देना।🙏-
मैंने नहीं पढ़ा इतिहास
और साहित्य की किताबें
मैंने बस तुम्हें देखा और
लिख दीं कविताएं!-
कभी मुश्किल से भरे तो कभी आसान हो गए,
जीवन में ऐसी ऐसी राह देखी परेशान हो गए।।
जो थे अपने वो हमसे हम उनसे अंजान हो गए,
गहरा दर्द देकर हम ज़ख्म का निशान हो गए।।
आए ज़रा देर हुई मुझे क्या किससे कहूं मैं,
कैसे अपनी ही महफ़िल में आज अंजान हो गए।
नहीं लगाई थी मैंने आग ना ज़ख्म दिया था, देखो
फिर भी यार दोस्तों की नजरों में बदनाम हो गए।
कि अपने दर्द का वजूद तुमको क्या समझाऊं मै,
क्या होगा दर्द मेरा जब खुद के घर में खुद ही
मेहमान हो गए।-
साहित्य में डूबा हुआ लड़का अगर किसी पढ़ी लिखी लड़की से
प्रेम करता है तो उसको तोफे में फूल नहीं किताब देता है-
Though, I'm happily married to science
Literature is still my first crush who never fails to fascinate me ..!-
वर्तमान सामाजिक कुरीतियां
व क्रुरुर नीतियां ,आज के
युवाओं को जकड़ लिया है,
कई युवा इन नीतियों से अपनी
गरिमा को ठेस पहुंचने से
तनाव रुप से अपने जीवन
लीला को समाप्त कर लेते हैं।
क्योंकि उन्हें लगता है कि यहां
कोई इंसाफ की बेड़ियां नहीं है।
आज पहले जैसा समाज नहीं रहा।
**_(वर्तमान समाज दानव छवि है)_**-
"साहित्य प्रेमी "
पढ़ना और लिखना
दोनों पर जोर देता है
जब दूर होता सबसे
दुनिया ही छोड़ देता है।
-
आज का दोहा
जैसे मौली सूत्र से, दृढ़ होता विश्वास ।
वैसे ही भ्रातृत्व से, बढ़ता है अनुराग ।।-