लहजा थोड़ा ठडां रखे साहब...
गर्म तो हमें
सिर्फ़ चाय पसदं है-
किसी को छोड़कर जाने में दर्द होता है साहब
हर जगह ही नहीं ये मौसम सर्द होता है साहब
इन्सान की फ़ितरत ही हो गयी धोख़ा देने की
जो मुश़्किल में साथ दे वही मर्द होता है साहब
ज़िन्दगी, दुनिया और लोग कभी नहीं बदलेंगे
बदला हुआ आसमान भी ज़र्द होता है साहब
जो साथ मिलकर भी चल सके वही कामयाब है
अकेले चलने वाला हर वक़्त फ़र्द होता है साहब
सबके चेहरे पढ़ना बहुत मुश़्किल हो गया है अब
पुरानी रखी हुई किताबों पर ही गर्द होता है साहब
हाथ पर हाथ रखकर बैठने से कुछ नहीं होगा
कुछ ना करने वाला बड़ा बेदर्द होता है साहब
कोई कभी समझ नहीं पाया नीयत "आरिफ़" की
बलात्कार करने वाला ही नामर्द होता है साहब
"कोरा काग़ज़" भले ही मिली हो सबको ये ज़िन्दगी
कलम भी बहुत लोगों का यहाँ हमदर्द होता है साहब-
साहब !
मैं बारिश में भीगा🌧️,धूप मैं जला🔥
लाखो की भीड़ मैं👥,अकेला चला🚶👣
तावीज 🧿या माला 📿नही मेरे गले मैं ❌
फर्क 🫂नहीं करता मै राम🕉️ और आला🛐 मैं ✨-
।। Delicate By Mirza Galib Sahab ।।
नज़रें उठा के आज इधर देख लो साहब.
आ जाओ ज़रा मेरा भी घर देख लो साहब.
न जाने फिर सफ़र में,मुलाक़ात हो न हो.
कुछ देर हमारा भी नगर देख लो साहब.
तपने लगा है धूप से ये सारा तन- बदन.
कोई तो छाँव वाला शजर देख लो साहब.
रस्सी पे चल रही है ये लड़की गरीब की.
जीवन के एक रंग का,हुनर देख लो साहब.
मंज़िल की आरज़ू में चले प्यास भूल कर.
आए हैं करके यूँ भी सफ़र देख लो साहब.-
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा
न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आएगा
मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँ
अगर वो आया तो किस रास्ते से आएगा
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
तुम्हारे बा'द ये मौसम बहुत सताएगा ।
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ये प्रदूषण तो अमीर लोगों ने फैलाया है, साहब
वरना गरीब तो सड़कों से कचरा भी उठा लेते हैं।-
कहते कुछ हो ।🧐🙍🙎
करते कुछ हो । 🙆🙅🤷
साहब आप भी ना । 💁🙋🙇
बिल्कुल गिरगिट । 🦎🦎🦎
जैसे रंग बदलते हो।🤷🤦🤷-
इतना भी हद में ना रहो साहब
कि लोग आप ही के साथ हद पार करने लगे।-
रास्ते भी बदल लेते हैं लोग, मंजिलें भी बदल लेते हैं
इश्क़ की बातें करते हो साहब ,एक पर टिकते कहां है लोग।-
चार शब्द उर्दू मात्र लिख लेने से,
अगर आप खुद को काबिल समझ रहें है।
तो आप जल्दबाजी न करें,
हिंदी भी कुछ कम नहीं है साहब।-