एक सफ़र में साथी कुछ इस तरह रवाना हो गया...
जैसे हमसे हमारा वजूद ही बेगाना हो गया।।-
मुकम्मल आंखों में इतनी बेबसी कैसी,
कशमकश बताने में इतनी देरी कैसी...
ख़ामोशी में गूंजती ये चीख कैसी,
सिद्दाते इश्क़ में एक तरफा गुलामी कैसी...-
मैं मर भी जाऊं, तो क्या हुआ
मैं तुम्हारी यादों में हमेशा ज़िंदा रहुंगी।-
उड़ जाएंगे एक दिन..!
तस्वीर से रंगों की तरह।
हम वक़्त की टहनी पर..!
बैठे हैं परिंदों की तरह।-
मुझपे तोहमतें लगाके मुस्कुराने की अदा भी ग़ज़ब हैं तुम्हारी
हैं ग़लत कैद करके अपनी निगाहों में मुझे सुकून कही और फरमाने की तुम्हारी...-
नफरतों का दौर चल रहा चाहत की क्या उम्मीद करें..
इंसान हैवान बनता जा रहा इंसानियत की क्या उम्मीद करें..-
इशारों में हीं सही, कभी तो बात कर लिया करो
तड़पते हैं तेरे दीदार को, हमसे भी कोई हसीन मुलाक़ात कर लिया करो
ऐसे न सताओ अब, दिल में है जो....! कभी
तो आंखों में आंखे डाल कर इजहार कर दिया करो।-
रोज़ तेरा इंतज़ार होता है, रोज़ ये दिल बेकरार होता है।
काश तुम ये समझ सकतें, कीं
चुप रहने वालों को भी किसी से प्यार होता है।
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ऐ ज़िन्दगी.....!
मुझे यूं हीं नहीं मरना हैं,
ज़मी से, फलक तक का
सफ़र तेरे साथ चलना हैं।-
मोहब्बत मै हर कोई आशिक़ नहीं बन जाते है,
कुछतो मोहब्बत को बेवफाई का नाम देते है...
मोहब्बत तो बेवफाओं को भी आशिक़ बना देती है,
और जो आशिक़ मोहब्बत मै बेवफाई से टकराते है...
वो अक्सर सायार ही बन जाते है ।।-