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एक स्त्री की सोच
मैं अकेले ही अच्छी थी।
ना कोई बंदिश था ,
ना समाज का कोई बंदिश था।
मैं अकेले ही अच्छी थी।
वो घरों में चहचहाना,
मस्त आजाद पँछी बने रहना।
ना पैरों में बेड़िया थी,
ना सर पर शर्म की घूंघट थी।
मैं अकेले ही अच्छी थी।
©️पीयूष के कलम से✍️-
स्त्री पहचानो अपनी क्षमताओं को
तुम हो श्रेष्ठतम
पहुंच सकती हो उच्चतम शिखर में
देह मात्र नहीं सौंदर्य ही परम गुण नहीं
मात्र पुरुष को रिझाना कोमल ना होकर
बहुमुखी गुणों से परिपूर्ण बनो
शक्तिमान शौर्यवान अपनी एक पहचान बनाओ-
संस्कारों, सवालों, रिवाजों की खाइयाँ बड़ी गहरी थी, सशक्तिकरण की राह में
मैंने दृढ़ निश्चय की मज़बूत दीवार अपनी दोनों ओर उठा दी,
मंज़िल की चाह में-
रिश्तों का रखने मान वो तुझ पर है वारी
ना थी कमजोर कभी वो, ना कभी है हारी
सशक्त ,संबल, शक्ति स्वरूपा
तीव्र,तीक्ष्ण, अग्नि सी ज्वाला
भावपूर्ण, बौद्धिक उत्कृष्टता
वेद, शास्त्र , है विज्ञान की ज्ञाता
पालक,पोषक व सृष्टिकर्ता
और आन पड़े तो कराल काली
ना थी कमजोर कभी वो, ना कभी है हारी
फतह किया है आसमान को
बुलंदियों का परचम लहराया
आगे उसके झुका हिमालय
सागर से राह निकाली
अनवरत सफर जारी है उसका
है आज की वो नारी
ना थी कमजोर कभी वो, ना कभी है हारी
नहीं रही केवल कोमलांगी
मजबूत इरादे ,चुस्त चौकस
घर हो या देश की सीमा
किरदार सी ढल जाती
ना सीमित कभी वो तेरे सोच तक
उन्मुक्त गगन की राही
ना थी कमजोर कभी वो, ना कभी है हारी
ना होगी कमजोर कभी वो ना किसी से हारी
Geeta Raaz
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बलात्कारी नेताओं को हम सासंद और विधायक बनाते है,
फिर क्यूँ हम प्रियंका के लिए मोमबत्तियां जलाते है।।
बेटे को संस्कार देने के बजाय,बेटी को पूरे कपड़े पहनाते है,
फिर क्यूँ हम प्रियंका के लिए मोमबत्तियां जलाते है।।
बेटी कोई प्रजाति नही है,जिसे हमें बचाना होगा,
"बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" नारा अब हटाना होगा,
इसके बदले "बेटी पढ़ाओ,सशक्त बनाओ" नारा अब लाना होगा।।
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"स्त्री की रक्षा तथा उनके सम्मान का रखो ध्यान,
ताकि भारतवर्ष को मिले महिला सशक्तिकरण का ज्ञान।"
//जागतिक महिला दिवस की अग्रिम शुभकामनाये।//-