न कभी रुके न कभी झुके,
जरुरत न हो न उलझइये ।
न बुरा कहे न बुरा सहे,
तटस्थ हमें न समझइये ।
न कहो हमें निकम्मा कभी,
क्षण आलसी न समझइये ।
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क्यों जिन्दगीं को जीने के लिए वक्त मांगते हूं
क्यों जिन्दगीं को जीने के लिए वक्त मांगते हूं
अरे पागल प्यार से जिन्दगीं को जियो
वक्त मांगने कि जरूरत ही नहीं किसी से
कभी जिन्दगीं में।
-अपराजिता राॅय ❤
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बहुत फिक्र है उसकी ?
आंखों में सपने सजाए बैठे हो ।
बिन समझें उसको !
तुम अपना बनाए बैठे हो ?
तुम भी क्या गज़ब करते हो दोस्त
टूटने के लिए तुम तो तैयार बैठे हो !!-
ये सोचकर अक्सर सो नहीं पाता हूं रातों को
काश कभी तो कोई समझे मेरी बातों को-
कोई तो हो.......
जो बोला ही करे और मैं सुनूं सिर्फ उसको।
मैं मुस्कुराहट से सिर्फ जवाब दूं सारे और
वो ख़ामोश ना हो।।-
कहने को बहुत समझदार हो पर अब तक ये ना समझे,
सबको क्यों मै ही समझूं कोई कभी मुझे भी तो समझे।-
वो छिपे शब्दों में यही कहना चाहती है कि,
"भाड़ में जाओ तुम" मुझे दूसरा मिल गया है।😜
😂😂😂😂😂😝😝😝😝😝😝😝😝-
सोच रहा हूं आज कुछ लिखूं !
पर क्या लिखूं ?
छोड़ो कुछ नहीं लिखते हैं ¡
पर ये बात तो लिख दिए !
क्या मैं लेखक हूं मित्र ?-
कभी कभी मेरे कर्म ही मुझे जवाब दे जाते है,,
आप आज भी अपने आप को नही पहचाने हो,
इसका हिसाब दे जाते है।।-