QUOTES ON #षड्यंत्र

#षड्यंत्र quotes

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7 MAR 2019 AT 22:29

स्त्री
क्या तुम स्त्री हो सकती हो
पुरुष के बिना?

पुरुष
क्या तुम पुरुष हो सकते हो
स्त्री के बिना?

फिर क्यों होना चाहते हो हावी
एक दूसरे पर।

एक का अस्तित्व दूसरे से है।
एक की सार्थकता दूसरे से है।

आदर करो
सम्मान करो
एक दूसरे का
होड़ नहीं
एक दूसरे से।

करना ही है तो
पुरुष को पुरुष से बेहतर बनने का प्रयास करना चाहिये
और स्त्री को स्त्री से बेहतर बनने का।

मगर तुम तो इन शब्दों को भी
पढ़कर सोचोगे
इसे पुरुष ने लिखा है या स्त्री ने।
पुरुष ने लिखा तो प्रतिक्रिया कुछ अलग होगी
और यदि स्त्री ने लिखा तो कुछ अलग।

पुरुष और स्त्री को बाँटना भी किसी षड्यंत्र का हिस्सा है।

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26 JAN 2018 AT 7:09

जाने कैसे कमजोर हुआ, अपना ये गणतंत्र
इसे बचाये रखने का, कोई बताओ मंत्र
बनाया हमने जिन्हें मंत्री, देकर अपना मत
मिलकर संसद में वही, रच रहे षड्यंत्र

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4 JUL 2019 AT 4:20

न जाने किसने ये षड्यंत्र रचा है
न रात बची है न चाँद बचा है

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31 MAR 2020 AT 6:10

शब्द रचते हैं कोई षड्यंत्र
और फूँक देते हैं मेरे कान में मंत्र
नींद हो जाती है रफूचक्कर
लिखने लगता हूँ जैसे कोई यंत्र

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27 APR 2021 AT 11:06

चाहे चुनना झाड़ू, या चुन लेना तुम फिर हाथ रे।
अभी करोना को हराने में दो मेरा साथ रे।।

रख ली होती जनता ने गर थोड़ी समझदारी।
फैल न पाती देश में फिर से ऐसे ये बीमारी।।

अगर पहनते मास्क और रखते दो ग़ज़ की हम दूरी।
लॉकडाउन की देश में फिर से आती न मजबूरी।।

सबने छुपा लिया है अपने घर में ही ऑक्सीजन।
इतनी शॉर्टेज का फिर वरना नहीं था कोई रीजन।।

षड्यंत्र है जाने किसका, कैसी ये तैयारी?
सब को मिलकर रखनी होगी थोड़ी होशियारी।।

समझेंगे गर हम सब अपनी अपनी जिम्मेदारी।
नहीं रहेगा करोना न फैलेगी बीमारी।।

अपना और अपनों का रखना हम को मिल कर ध्यान रे।
हारेगा करोना और जीतेगा हिंदुस्तान रे।।

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1 NOV 2020 AT 0:36

नींद को बुलाने का क्या कोई मंत्र है?
नींद ने रचा ये कैसा षड्यंत्र है?

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1 MAR 2021 AT 11:33

जब तक हम प्रेम के पीछे भागते हैं,
प्रेम हमसे दूर भागता है।

जब हम प्रेम से भागने लगते हैं,
प्रेम चारों ओर से घेरने का प्रयत्न करने लगता है।

आसान नहीं है प्रेम को पाना,
आसान नहीं है प्रेम से बचना।

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13 APR 2019 AT 12:05

शोक मनाया या किया हर्षित मन!?
ओ! ऋतुराज; हाय रे! तेरा अभागापन

अश्रुओं ने सींच दिए मिट्टी मरुथल तक को
रक्त से किया असंख्य शूरवीरों ने जिसे नमन

क्या बचा था रह गया;
दे बता किस काम आया, तेरा सारा, सारा जतन?
हाय रे! हाय रे! हाय रे! ऋतुराज तेरा, वह तेरा अभागापन

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6 FEB 2019 AT 16:00

ये राजनीति है साहेब
यहां पूरी की पूरी बस्ती जल जाती है
और धुआँ भी नहीं उठता

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5 JUN 2024 AT 4:22

समक्ष हमारे है खड़ा, आज एक ही प्रश्न
करें समीक्षा हार की, या जीत का जश्न

400 अंक लाने का, किया था हमने प्रयास
लगता है करना होगा, और अधिक अभ्यास

भेद न पाया चक्रव्यूह, विपक्षी करें उपहास
अर्जुन को क्यों हो रहा, अभिमन्यु सा आभास

एक अकेले अर्जुन पर, डालो न इतना भार
अब नयी रणनीति, करनी होगी तैयार

विपक्षियों ने षड्यंत्र रचा, मिला हाथ से हाथ
संग हमारे राम स्वयं, अब तो जगन्नाथ

अयोध्या में हुई हार, नहीं केवल संयोग
समझ नहीं आ रहा, क्या चाहते हैं लोग

देश को अब भी खा रहा, जातिवाद का रोग
राजनीति में करने होंगे, नित नये प्रयोग

हमें देश से प्रेम है, और देश को हमसे प्यार
अपने इस परिवार का, हृदय से आभार

जिन्होंने चुना है हमें, उनको धन्यवाद
प्रगति पथ पर आओ करें, पुनः शंखनाद

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