Chanchal Saraswat   (काव्यायिनी)
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Joined 19 July 2018


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14 MAY 2020 AT 20:34

निकाला है वर्तमान मैंने
कर मश्क्कत बारम्बार...

दबा हुआ कुछ रह गया है
इक हिस्सा, वहीं कहीं...

कोशिश जारी है
बारम्बार...

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14 MAY 2020 AT 20:08

कि वहम मिट चुका है...
वो तो अभी भी वहीं है
विश्वास में लिपटा हुआ
बस नए रूप में!

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12 MAY 2020 AT 13:14

कुछ ऐसा असर दुआ का हो
हवा में तल्खी न हो
अच्छा असर हवा का हो
नफ़रत से न देखें इक दूजे को
पाकीज़ा मन अब हमारा हो
दवा की ज़रूरत न पड़े
फिक्रें सभी अब बस हवा हों

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10 MAY 2020 AT 22:09

कवि वो नहीं जो कविता लिख दे, कवि वह है जिसे कविता लिख दे...

सूक्ष्म मगर बहुत गहरा अंतर है!!!

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9 MAY 2020 AT 21:48

कवायद तो थी ज़िन्दगी पटरी पर लाने की
मौत ही पटरी पर आएगी ये कहाँ सोचा था

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9 MAY 2020 AT 21:23

सपनों की मेरे परिधि खिंची है कहाँ तक
परवाज़ जो भरूँ तो फिर भरूँ कहाँ तक?

मिट्टी हूँ मैं कच्ची, पंख भी है नाज़ुक ही
गुमान जो खुद पर करूँ तो कहाँ तक?

तूफ़ान है आगे खड़ा, है राह मेरी देखता
जो खुद को घायल करूँ तो कहाँ तक?

आसमां तो मिलता ही है जो उड़ान कोई भरे
इस उड़ान से फिर डरूँ तो कहाँ तक?

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9 MAY 2020 AT 21:04

नहीं आदत मुझे कुछ कहने की
न ही अंदाज़ पता है
शब्दों के झुरमुट के पीछे छिपे
न कोई रीति-रिवाज़ पता है
अपने ख्वाबो के तार में इक मुझे भी बुन लो
मेरी खामोशी सुन लो
मेरी खामोशी सुन लो!!!

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9 MAY 2020 AT 20:51

माना राह कठिन है
साथी भी सब बिछड़ गए
लगता सब नामुमकिन सा
हौसलें भी हो पस्त गए
उम्मीद का पर दामन ना छोड़ो
सफ़र अधूरा न छोड़ो

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17 APR 2020 AT 22:07

बस वही फिर याद आता है
जिससे दूर भागते हैं
वही लौटकर पास आता है

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13 MAR 2020 AT 20:49

कि मंज़िल अब ज़रूरी नहीं रही
कि हो चुकी रास्तों से यारी
मुश्किल अब मुश्किल नहीं रही

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