शाम होते ही...
मन में एक सवाल उठता हैं,
आज दिन ढला हैं....
या उम्र.....!!!!!-
4 OCT 2020 AT 19:13
9 JUL 2020 AT 19:46
हर रोज की तरह आज फिर,
एक शाम हो गई।
दिल मे हमारे ऊनकी यादों की ,
भीड फिर सरे आम हो गई।
काश यादों के लिए भी एक शाम,
बनी होती।
लिहाजा हमे कुछ वक्त के
लिए ही सही,
खुद की पहचान होती।
...सुनीलानंद-
28 MAY 2020 AT 20:43
दिन भर एक दूसरे की हम जुस्तजू करते हैं,
शाम ढले ख़ुद से ख़ुद को हम रूबरू करते हैं।-