Vigya Jain   (Vigya Jain)
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Joined 10 May 2020


Joined 10 May 2020
22 MAR AT 11:01

वक्त की गुस्ताखाइयों में, कुछ यूं मशगूल हुए हम।
की ये दौर आगे निकल गया, हम पिछे रह गए।।

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24 DEC 2023 AT 10:40

अक्सर पुराने आइने!
भूल जाया करते हैं, सच्चाई दिखाना!!

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6 NOV 2023 AT 12:40

एक अरसे के बाद
लोग बोझ बनने लगते हैं
अपने पसंदीदा करीबियों पर

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6 NOV 2023 AT 12:35

किसी के कुछ कह देने भर से..
लोग नहीं बदला करते।
लोग बदलते हैं उनकी जरूरतों के अनुसार ।।

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3 OCT 2023 AT 19:30

किसी के पन्नों पर दीमक पड़ गई,
किसी के आने के इंतजार में...

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15 SEP 2023 AT 16:36

कभी कभी वहां ठहर जाना चाहिए
जहां से लोटने का दिल ना करे ।।

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7 SEP 2023 AT 22:03

I recall our past how uhh left me..

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18 AUG 2023 AT 14:03

खामोशियां....
वयां करती है, मन की वो बातें
जो पन्नों में छुपा दी गईं!!

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17 AUG 2023 AT 14:09

लिखावट...
व्यक्त करती हैं, मानव हृदय की अभिव्यक्ति !
चाहे वोह...
कविता हों, या कोई कहानी !!

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17 AUG 2023 AT 13:52

वक्त से कुछ गुजरिशे थी!
पर वक्त के बेवक्त रंग बदलने की फितरत,
इन्हे पूरा ही नही होने देती !!

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