वक्त की गुस्ताखाइयों में, कुछ यूं मशगूल हुए हम।
की ये दौर आगे निकल गया, हम पिछे रह गए।।
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Vigya Jain
(Vigya Jain)
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Joined 10 May 2020
22 MAR 2024 AT 11:01
6 NOV 2023 AT 12:35
किसी के कुछ कह देने भर से..
लोग नहीं बदला करते।
लोग बदलते हैं उनकी जरूरतों के अनुसार ।।-
18 AUG 2023 AT 14:03
खामोशियां....
वयां करती है, मन की वो बातें
जो पन्नों में छुपा दी गईं!!-
17 AUG 2023 AT 14:09
लिखावट...
व्यक्त करती हैं, मानव हृदय की अभिव्यक्ति !
चाहे वोह...
कविता हों, या कोई कहानी !!
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17 AUG 2023 AT 13:52
वक्त से कुछ गुजरिशे थी!
पर वक्त के बेवक्त रंग बदलने की फितरत,
इन्हे पूरा ही नही होने देती !!-
17 AUG 2023 AT 13:46
नुमाइशों में उलझी जिंदगी को,
सलीकों में लिपटी बेड़ियों ने बांध रखा हैं !
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