एकांत..
एकट्याचेच एक तपश्चर्य ।
एकट्यानेच निर्मिले एक धैर्य ।
एकाकलेला असा एकटा मी।
एकांताचेही माझ्याशी वैर्य।।
एकांताचाही केला मी अंत ।
एकासही नसे त्याची खंत ।
एकट्याच्याच एकीने बनलो ।
मी एकांतवासातील एक संत ।।
एकांतात गुणाया गेलो एकाशी।
तरी ही मी आज एकटाशी ।
एकांतात भागाया गेलो एकाशी।
तरी ही पुन्हा असा एकटाशी।
एक उणे एक होई एकाचा अंत।
या अंताचा मी धनी एकटा श्रीमंत।
मी एकल जीव जसा एक सदाशिव।
एकुणातल्या एकाची कुणा न किव।।
एकटाच मी रमलो आता एकांतात।
एकट्याच्याच ह्या अनंत एकांतात।
एकटाच एकवटूनी सारी ताकत।
सूनिलानंदांची ही तर नित्य आदत ।।
...सुनिलानंद-
मैं अगर देखूं...
मैं अगर देखूं तो देखूं ।
मगर तुम ना मुझे देखना।
तुम अगर देखोगे मुझे
तो मशहूर हो जाऊंगा मैं।।
मैं अगर तड़पू तो तड़पू ।
मगर तुम ना मेरे लिए तड़पना।
तुम अगर तड़पोगे मेरे लिए
तो मगरुर हो जाऊंगा मैं।।
मैं अगर चाहूं तो चाहूं।
मगर तुम न मुझे चाहना।
तुम अगर चाहोगे मुझे
तो मजबूर हो जाऊंगा मैं।।
मैं अगर रोलूं तो रोलूं।
मगर तुम ना मेरे लिए रोना।
तुम अगर रो दिए ।
तो कभी हसा ना पाऊंगा मैं।।
मैं तुम्हें अपना मानूं तो मानूं ।
पर तुम न मुझे मानना ।
तुम अगर मानोगे तो
खुद का ही न रह पाऊंगा मैं।।
...सुनिलानंद
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सहवास...
सहवासात तुझ्या ग सखे
मन माझे आज उभरले।।
आयुष्याच्या पटलावर चित्र
तुझे मी रेखाटले।।
पाऊलखुणा तुझ्या प्रीतीचा
उमटतील माझ्या अंगणी।
हृदयात माझ्या संचारतात
स्पंदने तुझीच साजणी।।
जन्मरणाची गाठ बांधुनी
झालीस माझी अर्धांगिनी।
मनमंदिरात माझ्या सुगंध
दरवळतो तुझाच साजणी।।
उज्वल भविष्यास माझ्या
तोरण बांधले तुझ्या रूपाने।
सुकलेल्या देहात या जीव
आला ग तुझ्या असण्याने।।
हसरी नि जरा लाजरीच तू
रूसता होई काळिज सळसळ।
लाभो संसार सुखाचा तुम्हा
हिच सूनीलानंदाची तळमळ ।।
...द्रौपदीपुत्र सुनिलानंद
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[ क्या करूं खुदा हैं तू...। ]
मानती हैं यें दुनिया भी खुदको वंश तेरा।
मुझे भी तो देख, मैं भी तो हूं अंश तेरा।।
पता है मुझे भी इस जहां का खुदा हैं तू।
पर क्या करूं, अब तो मुझसे जुदा हैं तू।।
ना उभरें यें हालात तो करूंगा मैं भी कहर।
यकीन न श्रद्धा में तेरी फ़ैला दूंगा यें जहर।।
मन तो करता हैं चीखकर बता दूं दर्द सारा।
पर मुझे ना भरोसा वजूद भी है कुछ तेरा।।
न करूं खुद की वकालत न तुझसें शिकायत।
बस एकबार कह दें मेरे सरपे है तेरी इनायत।।
...सुनिलानंद-
PAIN
CHANGES PEOPLE...
SOME BECOME
RUDE
SOME BECOME
SILENT
SOME BECOME
SILENTLY
RUDE...
...Unknown-
बड़ी मगरूर थी उनकी यादें भी बिलकुल उनकी तरह।
यें हमारी मर्जी से ना आती थीं और नाही जाती थीं।।
...सुनिलानंद-
मतलब तो मुझे भी नहीं कौन किसके साथ कैसा हैं।
जो मेरे साथ अच्छा है । वो बस मेरे लिए अच्छा हैं।।-
कमा सकूं जिवन में मेरी मां की तमाम खुशियां।
मेरे खुदा मुझे बस इतना काबील बना दे 🙏।।
...सुनिलानंद-
गज़ब का कहर छा जाता हैं कभी कभी जज्बातों का खुदपर...।
कितना भी कुछ लिख लो मन भरता ही नहीं..।।
...सुनिलानंद-
बेशक अपनी जवान उम्र का मज़ा
लीजिए जनाब।
लेकीन खयाल जरा उनका भी रखिए
जिन्होंने आपको काबिल बनाया।।
...सुनिलानंद-