QUOTES ON #शकील

#शकील quotes

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18 DEC 2020 AT 0:17

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17 DEC 2020 AT 22:58

#* ग़ज़ल * #
ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया

यूँ तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया

कभी तक़्दीर का मातम कभी दुनिया का गिला
मंज़िल-ए-इश्क़ में हर गाम पे रोना आया

जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील'
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया
– "शकील बदायूँनी"

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7 OCT 2019 AT 21:28

जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का शकील
मुझको अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया..

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12 JUN 2020 AT 11:53

"खुद को इतना भी मत बचाया कर
बारिश हो तो भीग जाया कर,
चांद लाकर कोई नहीं देगा
अपने चेहरे से जगमगाया कर,
धूप मायूस लौट जाती है
छत पर कपड़े सुखाने आया कर,
काम ले कुछ हसीन होठों से
बातों बातों में मुस्कुराया कर,
दर्द हीरा है दर्द मोती है
दर्द आंखों से मत बनाया कर"
*शकील आज़मी साहब*

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24 MAY 2020 AT 20:44

तुम आसमान पे जाना तो चाँद से कहना
जहाँ पे हम हैं वहाँ चाँदनी बहुत कम है

~शकील आज़मी

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10 NOV 2019 AT 10:10

मज़हबी अंधेरा है रौशनी है खतरे में।
खुल के जीने वालो कि ज़िन्दगी है खतरे में।

आशिकों की राहों नफरतों के परचम है।
इश्क पे है पाबंदी आशिक़ी है खतरे मे।

अब हमारी बस्ती भी जंगली इलाका है।
भीड़ है दरिंदो की आदमी है खतरे मे।

बादलों की साज़िश में अब धुआ भी शामिल है।
चांद भुजने वाला है चांदनी है खतरे मे।

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21 AUG 2020 AT 7:36

कहीं कोई है जो नब्जें -दुनिया चला रहा है,
वही खुदा है !
जो होके गायब कमाल अपना दिखा रहा है,
वही खुदा है !
ये चचाहते हुए परिंदो, इबादतों मे है जिसकी शामिल,
दरख्त सजदे मे सर को झुका रहा है !
वही खुदा है !
रिजाये पहुंचा रहा है जो गहरे समंदरों मे मछलियों को,
चमकते मोती जो सीपियों मे बना रहा है,
वही खुदा है !
अँधेरी रातों के आंचलों मे झिलमिलाता है नूर बनकर,
जो चाँद तारों को बादलों मे सजा रहा है,
वही खुदा है !!
जो बनके बा
दल जमीन पर बरसे, जमीन को सींचे, उगाये सब्जे!
जो कच्ची फसलों को धुप बनकर पका रहा है!
वही खुदा है !
शहर के महकी फिज़ाओ मे सूरज के ताज पहने,
जो वादियों मे गुलों का चादर बिछा रहा है !
वही खुदा है !!
# शकील आज़मी

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मेरी आँख ने बाखुदा शकील पाया है




















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23 JUN 2021 AT 12:05

और कुछ दिन यहां रुकने का बहाना मिलता 
इस नए शहर में कोई तो पुराना मिलता ।।

मैं तो जो कुछ भी था,
जितना भी था सब मिट्टी था
तुम मगर ढूंढते मुझ में तो खजाना मिलता ।।

मुझको हंसने के लिए
दोस्त मयस्सर है बहुत
काश... रोने के लिए भी कोई साना मिलता ।।

:- शकील साहब

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19 NOV 2019 AT 20:38

खुद को इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हो तो भीग जाया कर।
काम ले कुछ हसीन होटों से,
बातों बातों में मुस्कुराया कर।
चांद लाकर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरे से जगमगाया कर।।

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