*तुम*:
सांसों में समाई हो तुम
धड़कनो पे छाई हो तुम
रूह की परछाई हो तुम।
समुंदर से गहरी हो,
कभी कभी एक पहेली हो तुम।
आसमान की परी हो,
धरती पर ठहरी हो तुम।
सूरज से भी तेज चमक,
अमावस्या की अंधेरी हो तुम।
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अगर वो कह दे कि बस तुम्हारे साथ चलना है।
बस तो फिर जमाने के लिए धर्म क्यों बदलना है।
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तुम्हे पता तो है कि लड़का शर्माता है।
कहने से थोड़ा घबराता है।
तुम्हे भी तो समझनी थी ना मेरे दिल की बात,
अपने दिल की हर बात बताना पड़ जाय तो प्यार में क्या रह जाता है।-
Ek awaz sunai di muje kya vo tumari hai
Ek mehak aai muje kya vo tumari hai.
Payal ki chhankar hui kya vo tumari hai
Man m ek khayal aya han vo tumara hai.
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होश तो उड़ा ही रखे हैं तुमने, अब जान भी लोगी क्या।
बोल भी दो हसीन होटों से, आंखो से ही वार करोगी क्या।
करती हो हंस कर बात सब से, हमसे नाराजगी है क्या।
यूं करना देख कर अनदेखा तेरा, प्यार पहचानती नहीं हो क्या।
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इस दुनिया में सब वफ़ा किया नहीं करते।
प्यार करते हैं जिसे हम उसे बद्ददुआ दिया नहीं करते।।-
कि सुनो यार तुम याद मत आया करो
यूं दिल के दरवाजे पर दस्तक देकर वापस ना जाया करो।
अब आए हो तो रुको जरा, थोड़ी गुफ्तुगु कर लेने दो।
तेरे कांधे पर रख कर सर दो पल तो रो लेने दो।
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वैसे कोई वजह नहीं है नाराजगी की,
बस जिद में यू ही नाराज़ हुए बैठें है।
गांव में सब कुछ ही अपना था,
तेरे लिए शहर में किरायेदार हुए बैठें हैं।।-
कि वो सारे जहां की बातें हमसे करते हैं।
और हम उनकी इन्हीं अदाओं पर मरते हैं।
हम उन्हे समुंदर कहते है, वो हमे नाव कहती है।
हम उन्हे सुराही कहते है, वो हमे प्यास कहती है।
भोली तो बहुत है, लेकिन गुस्सा नाक पर रखती है।
बतलाती नहीं है, लेकिन प्यार बहुत करती है।।
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