संक्रमण के चक्कर में,
कोई खाली पेट सो जाएगा ।
उसे सपने आएंगे,
के मेरा भोजन कहां से आएगा?
रोटी का एक टुकड़ा देंदे,
या पानी दो बूंद सही ।
राम भी खुश होगा तब ,
अल्लाह भी दिया जलायेगा।-
मन में यह विश्वास धरें भले हम संघर्ष क्यों न करें
गांव से राज्य तक राज्य से राष्ट्र तक राष्ट्र से विश्व तक
वर्तमान के ध्यान में भूत की दुविधा को समझ कर
हर उलझन को सुलझा सकते है हम जिससे हमारा
भविष्य सर्वश्रेष्ठ हो सकता है।
इसी सूत्र के आधार पर क्यों न हम
नए हिन्द भारत नए विश्व का निर्माण करें-
ना चाहिए किसी की धन माया
ना चाहिए किसी के वस्त्र काया
मिल जाए पवित्र विचारों वाली लक्ष्मी!
जो आनंद को नर से नारायण बनाए!
वहां हों सिर्फ़ परमात्मा की छत्र छाया-
आज विश्व साक्षरता दिवस है
ज्ञान ही धन है
ज्ञान और
अर्जित करने
चल पड़ा तेरी ओर मे
-
आत्मविश्वास से भरा हृदय निस्वार्थ होता है
वह विश्व को आत्मा मान जनकल्याणमय कार्य करता है। जो कि सदा सत् सनातन धर्म संगत
वंदे विश्व मंगलमय रहते है जिससे हर जन जन सदा आनंदमय मन अनुभव करता है।-
शारीरिक स्वास्थ्य हीं मानसिक स्वास्थ्य का मूल मंत्र है
व्यक्तित्व जीवन में आनंदात्मक और भावात्मक का अभिव्यक्ति अनुकूल रूप महत्वपूर्ण है। जिसमें सामाजिक , सांस्कृतिक , संवेगात्मक , श्रेष्ठ, एवं संतुलित , आत्म मूल्यांकन और विचार
निर्णय आदि निम्न गुणों का होना आवश्यक है।
मानसिक स्वास्थ्य में समावेश सद गुणों का गुंछा भी जरूरी है!
जिसमें जैसे;- जीवन के प्रति रुचि , आत्मगौरव का भाव , व्यवस्थित विचारधारा , विनोदशीलता तथा
सदुद्देश्य पूर्ण दृष्टिकोण आदि गहन है।
जो कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए
एक संतुलित सूत्र बन सकते हैं।-
मेरे प्रिय संपूर्ण विश्व सत् परिवार के प्रिय ब्रह्म
सदस्यों को ढेरों सारी बहुत-बहुत शुभकामनाएं
आए नए साल की और बीते पिछले साल की
पवित्र समय ज्ञान श्रेष्ठ समृद्धि आदि के लिए।
Happy 💐🌻 Happy 🌻💐 Happy
Caption! ज़रूर पढ़ लियों प्रिय ब्रह्म मित्रों!
आपके लिए Surprise है ख़ुश रहों आनंद मैं-
जो मैं स्व में देखता हूँ,
वही मुझे विश्व में भी दिखाई देता है।-
पानी तेरे कितने रूप _
पानी आकाश से गिरे तो _बारिश
आकाश की और उठे तो _भाप
अगर जम कर गिरे तो _ओले
अगर गिरकर जमे तो _बर्फ
फूल पर हो तो _ओस
फूल से निकले तो _इत्र
जमा हो जाए तो _झील
बहने लगे तो _नदी
सीमाओं मे रहे तो _जीवन
आँख से निकले तो _आंसू
शरीर से निकले तो_ पसीना और
श्री हरि चरणों से निकले तो _चरणामृत-
हे सर्वव्यापी अंतर्यामी अनंत जगत जननी
हे सखेगुरू निर्विकार नामरूप स्वरूप अनादि
हे देवो कि देवी देव"वेद"विश्वमाता परम् शक्ति
हमें सद्बुद्धि दें सद् मार्ग कि सत्य राह दिखाओ
हमें सच् में सत् सात्विक सत्य के सत् दर्शन कराओ
हमें सत् चित् आनंदा आनंदमय शुद्ध सिद्ध बनाओ
हे मातृ शक्ति हमें अपने चरणों तथा कार्यों में सदा
बनाएं रखना हे महामाया शिवा शक्ति परम् प्रज्ञा
हे मां प्रणाम्: हे आपको सत्यम्:-