लाल धागे...
लाल चुनरी...
लाल सिन्दूर है मांगों में...
चेहरे पे लाली...
हाथों में थाली...
पिया रंग है आँखों में...
वटवृक्ष पर धागे बांधकर...
करू कामना अपने पिया की...
सुहाग मेरा अमर रहे...
यही तो अरमान है ...
लम्बी उम्र रहे उनकी...
यही तो हमारा अखंड सौभाग्य है...
हमारी भी उम्र लग जाए...
यही तो हमारा प्यार है...
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वट-सावित्री
सुहागिन स्त्रियों का एक पर्व
करती जिसको वो हर वर्ष।
कर के सोलहों श्रृंगार
मेहँदी, काजल,चूड़ी, हार।
पायल,बिछिया और सिन्दूर
बढ़ा देते सब चेहरे का नूर।
करती वट-वृक्ष की पूजा
माँगे वर के सलामती की दुआ।
(👉Read in Caption🙏🙂)-
तुम मनाओ विश्व पर्यावरण दिवस
हम वट सावित्री मना लेंगे
तुम मनाओ वातानुकूलित कक्षो
में पृथ्वी दिवस
हम पृथ्वी को माता कह लेंगे
पृथ्वी पर पांव रखने के पहले
आभार व्यक्त कर लेंगें
तुम नदियों को सीवर बनाते रहे
हम नदियों को माता कहते रहे
तुम विज्ञानी थे शक्तिशाली थे
तुम जीतते रहे हम हारते रहे
हमारे साथ हारी प्रकृति
हमारे साथ हारी पृथ्वी
तुम जीतते रहे..
हमारी माता प्रकृति
हमारे साथ हारती रही..-
पेड़-पौधों की पूजा-अर्चना एक बहाना है,
असली मकसद तो इन सबको बचाना है।-
पेड़-पौधों की पूजा-अर्चना, उनके प्रति आस्था एवं मान्यता,
प्रकृति प्रेम एवं पर्यावरण संरक्षण का अद्वितीय उदाहरण है।-