जी भर कर रोना चाहती हूँ...
आँसुओं से खुद को भिगोना चाहती हूं...
बहा कर इसे कुछ पल सोना चाहती हूँ..
जी भर कर रोना चाहती हूँ...
सारे गम को सीने से लगाना चाहती हूं...
भीतर पल रहेहे दर्द से छुटकारा चाहती हूं...
खो गई हूँ, इतनी भीड में...
इस भीड से बाहर निकलना चाहती हूं...
जी भर कर रोना चाहती हूँ ...-
मैं अकेली हूँ, और अकेली रात है...
मुझे देख बचैन, रात ने कहां क्या बात है??
मैने कुछ नहीं कहा बस रो दिया😭🥺...
रात ने मुझसे कहा ---
"मैं भी तेरी तरह मजबूर हूं
चार दिन की चांदनी में चूर हूं
टूट कर तारे बताते हैं यहीं
मैं भी तुम्हारी तरह ही अकेली हूँ"
रो ले जितना रोना है, फिर मैं सुला दूंगी...
किसी को कुछ नहीं बताऊंगी, ये हमारी बात है ...
हम दोनों एक जैसे हैं, डरने की क्या बात है??
मैं अकेली हूं और अकेली रात है...-
अक्सर एक सवाल जहन मे आता है...
क्या एकांत और अकेलापन एक ही है या अलग हैं??
मैंने पूछा खुद से तो मुझे मिला जवाब-
"अकेलापन अभिशाप है, पर एकांत वरदान है"
दोनो में अंतर निम्न प्रकार हैं...
'अकेलापन'छटपटाहट तो 'एकांत' आराम है...
'अकेलापन' घबराहट है तो 'एकांत' शांति है...
लोगो में देखो तो 'अकेलापन' मिलता है...
खुद को झाँको तो एक दिन 'एकांत' मिलेगा...
अकेलेपन से एकांत की ओर एक ही 'यात्रा' है,
जिसमे 'रास्ता' भी हम...
'राही' भी हम...
और, 'मंजिल' भी हम...
#kalyani❤️
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तुम्हें देख कर खुश होते थे...
अब चाँद को देख कर मुस्कुराते हैं...
तुमसे बाते कर सो जाते थे...
अब तारे गिन कर सो जाते है...
पहले और अब में फ़र्क इतना सा है...
तुमने संभाल कर रखा था मुझे...
और मैं (Ankshit❤️)को संभाल कर न रख पाई...
🥺🥺🥺-
भँवरे की ज़िन्दगी यूहीं गुज़र गयी...
फूलों के खिलते ही...
एक माली की नज़र पड़ गयी...
किस्मत ने खेला अनोखा सा खेल...
फूल सजी बालों के जूरों में...
और इधर इंतज़ार करते भँवरों की उमर गयीं...-
वो बिल्कुल चाँद की तरह हैं...
मेरा नूर भी, गुरुर भी और मुझसे दूर भी...
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जो खो गया हैं, उसे खो जाने दो...
छुपे हुए मस्कराहट को, मुस्कुराने दो...
कभी प्यार किया हैं ,खुद से??
ये सवाल बार- बार करो...
और खुद से प्यार करो...
कोई किसी का नहीं हैं यहाँ...
ये सच हैं,बाकी सब मोहमाया हैं|
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मेरे yq पे आते तेरा आना...
Chat करते-करते तेरा मंद-मंद मुस्कुराना...
मेरी बातों को कहे बिना तेरा जान जाना...
यूं, तो नींद नहीं आती थी, बिना बात किये...
मगर, पूरी रात जागते-जागते सोना...
सोते- सोते जागना, याद हैं वो हमारा जमाना...-
वो दुरिया मे भी बहुत नज़दीकियां थी...
ऐसा लगता ही न था, हम दूर हैं इतने...
वो बातें, वो रातें...हमारी बातें!
आज भी हम पास हैं ,आज भी हम साथ हैं...
लेकिन, न हैं वो बातें ,वो रातें...हमारी बातें!
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"इश्क"को बदनाम किये हो,सर जी...
बताओ,"इश्क"जितना सुकून मिलेगा कहां??
"इश्क" में जो ख़ुशी मिलती है...
वो ख़ुशी मिलेगी कहाँ??
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