इश्क़ लिखकर रात काटी, इश्क़ पढ़ कर रात काटी
इश्क़ जी कर रात काटी, इश्क़ मर कर रात काटी-
7 JUN 2019 AT 4:58
22 JUL 2020 AT 13:18
ख्वाहिशों की क़लम से बस इतना ही लिख पायी
तुम मेरे हो न सकें और मैं तुम्हारी हो न पायी-
21 MAR 2020 AT 20:25
नाम तेरा ऐसे लिख चुके है अपने वजूद पर
कि तेरे नाम का भी कोई मिल जाए
तो भी दिल धड़क जाता है-
19 JUN 2018 AT 8:00
इतना गहरा लिखने लगी हो आजकल
डरता हूँ पढ़ने से कहीं डूब न जाऊँ-
2 APR 2018 AT 5:31
तुझे पढ़ के वक़्त जाया करता हूँ
तुझे लिख के वक़्त जाया करता हूँ
किसी और को नहीं सुनाता तेरे किस्से
बस खुद को ही सुनाया करता हूँ-
11 MAR 2020 AT 22:05
फिर मुक़द्दर की लकीरों में लिख दिया इंतज़ार
फिर वही रात का आलम और मैं तन्हा-तन्हा-
16 FEB 2018 AT 14:36
लिखते लिखते विराम ले लेता हूँ
मन ही मन तेरा नाम ले लेता हूँ
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