जो भी हमने किया है सब जमाने के लिए
हमें अब कुछ नहीं चाहिए आजमाने के लिए
हमारे जिंदगी में सिर्फ अंधेरा ही बचा है
हमें बस एक चिराग चाहिए उंजाले के लिए
रामू गुप्ता ❤️-
मल मल धोए शरीर को धोए न मन का मैल
नहाए गांग गोमती रहे बैल के बैल
कबीर दास-
💥कहानी शीर्षक💥
🌱🌹पीपल का पेड़ और महागुरु🌹🌱
🙏बोलो श्री रामचन्द्र जी की जय🙏-
मल मल धोए शरीर को धोए न मन का मैल
नहाए गांग गोमती रहे बैल के बैल
कबीर दास-
गीत गुनगुनाऊं
या राग मैं सजाऊं
सोई हुई दुनिया को
कैसे मैं जगाऊं
कौन है यहां अपना
किससे मैं बतलाऊं
सभी व्यस्त हैं अपने में
किसके घर जाऊं
अब सुर मैं सजाऊं
या गीत,गजल गाऊं
या सोई हुई दुनिया को
फिर से मैं जगाऊं
लूटी जाती हर रोज
बेटी बहन की लाज
होली मैं मनाऊं
या लाज मैं बचाऊं
अब देश पीड़ा गांऊं
या गीत गुनगुनाऊं
रामूgupta
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जिंदगी के लम्हों में, मैं भी अकेला हूं।
रात के रंजोगम को, मैं भी झेला हूं।
तुम्हें क्या बताऊं क्या हाल है मेरा
जीवन का खेल, हम भी खेला हूं
रामू (राही)
Ramu Gupta
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रात के अंधियारी को मिटा के आया हूं
बिखरे हुए महफ़िल को सजा के आया हूं
जो कहते थे तेरी अवकात ही क्या है
उनको अपनी ताक़त दिखा के आया हूं
वह अपने आप को पहलवान समझते थे
उनको तो मिट्टी की धूल चटा के आया हूं
पता नहीं क्यों मुझे सब उल्लू समझते थे
पर उनको घर की रास्ता दिखा के आया हूं
रामू गुप्ता
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रहे बैल के बैल न कुछ भी आता जाता
किसी की सोंच से इनका देखो कैसा नाता-