सुना है,
किसी ने तेरी कुण्डली विचारी है।
जरा,
बताओ उसमे क्या नाम हमारी है।
और क्या क्या बताया है उसने,
बताओ उसमें क्या राय तुम्हारी है।
तुझसे बिछड़ कर या तुम्हारे साथ जीना है
चाहत है मुझे ये जानने की,
जरा,
मै भी पूछूं बताओ,वह कौन पुजारी है?
रामू "राही"
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यार वह मेरे जिंदगी से बड़े हैं
I am student of BA(art's)
साहित्य प्... read more
अश्क आंखों में तूफ़ान मचा कर रखा है।
अपने दर्द को दिल में छुपा कर रखा है।
दुनिया वालों तुम्हीं कुछ सलाह बताओ
यार उसने तो कोहराम मचा कर रखा है।।
रामू “राही”-
आज की नज़र नहीं, नजीर हैं
जो हर रूप को घायल कर देती है।
जाने अंजाने में हवस की वफाएं
जो होती है ,
वह बाद में बहुत दुःख देती हैं।
आज कल मोहब्बत तमाशा
बना कर रखा है,
फिर कहते हैं ये पागल बना देती है।
रामू ”राही ”
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रंग के रंग में रंग जाओ,
है, होली आई।
कलुषित मन को धो डालो,
है,होली आई।
जाति, धर्म और मजहब त्यागो।
है,युवाओं अब फिर से जागो।
इस राष्ट्र को दे दो एक नई परिभाषा,
तुम।
युगों युगों की पूरी कर दो अब अभिलाषा,
तुम।
रंग जाओ हा रंग जाओ,
भंग के भंग में भंग जाओ,
है, होली आई।
रामू (राही)
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बात क्या है,
क्यों इतनी उदास हो
हाल बताओ अपने जहन का
डरती क्यों हो,
जब हमारे पास हो
अगर कोई झिझक, लज्जा हो
तो फकत हो जाए,क्योंकि
तुम हमारे ख़ास हो-
उस लम्हे से पूछो
रात के पहरेदारों से पूछो।
जो खुद वेकिमती हैं
वो क़ीमत क्या जानें
ये प्रश्न साथ रहने वालो से पूछो।।
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खिला खिला दिल कमल सा,
मुरझाय गवा है।
अपने अश्कों से कबतक सींचू ,
जब मन का सागर ,
झुराय गवा है।।
रामू (राही)-
अश्क आंखों में छुपाए बैठे हैं।
दर्द को गले से लगाए बैठे हैं।।
ये जो मिट्टी की खुशबू है, न
ये शहीदों के लहू से उपजे फूल के है,
जो हर गली हर मोहल्ला सजाए बैठे हैं।।
नींद,चैन,ख़्वाब है, न
सब इन्हीं की देन है,
यही तो है जो हिंदुस्तान को जगाए बैठे हैं।।-
लिखता हूं उसके गोरे बदन की हर एक खुशबू,
जैसे अंदर तक उतार गया हो मुझ में वो...!!
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सब जान कर अंजान मत बनो।।
सोची साची साजिश थी तेरी।
अब मेरे आगे,
दिखावे का मेहमान मत बनो।।-