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मेरे हमराज़, ये दिल तुझसे खफा नही,
दिल को तेरे सिवा किसी और से वफ़ा नहीं।
इश्क़ मुकम्मल हो सुनकर....."क़बूल है",
मेरे लब पे इसके सिवा कोई और दुआ नहीं।-
दूर करना है मुझे, तो रूठने का इंतज़ार क्यों है
जब मोहब्बत है ही नही,तो झूठा इज़हार क्यों है
जो कहना हो तुमको, सब बेझिझ कहा दो हमे
की ऐसे बदलते रुख़ का तुमपर, खुमार क्यों है
गिर जाएँगे एक दिन दिल की टहनी से सुखे पत्ते
पर तुम्हे उन्हें मिट्टी में मिलाने का, विचार क्यों है
अब ये जिस्मो का खेल, जो तुम रोज दोहराते हो
तुम में भावनाओं की समझ,इतनी बेकार क्यों है
हर बदलते डगर तुम्हारे, हर हर्फ़ बयान करते है
की तुम जहां भी चलते हो,वहां खलझार क्यों है
तुम कहते थे हमे खेलना कभी पसंद ही नही था
फिर यूँ दिलों से खेलना, तुम्हरा कारोबार क्यों है
"आयु" ये स्वाभाविक है, कि लोग बदल जाते है
फिर हवाओं में छाई इतनी,इसकी बाहार क्यों है
आयुषी शुक्ला 🥀-
खुद बिखर के खुद सवरना सीख रही हूँ
की अब तेरी कमी मे जीना सीख रही हूँ
हाल ए दिल की, क्या बात करूँ गैरो से
अपनो के तानो से, जीना सीख रही हूँ
दरकिनार किये गए थे, अब थक गए है
जीवन अकेलेपन मे जीना सीख रही हूँ
लपटे चुभती है, मगर दर्द का क्या करें
अब चुभन के साथ, जीना सीख रही हूँ
दूरियाँ जिस्म की होती है यादों का क्या
यादों को भुला कर, जीना सीख रही हूँ
मैं जुल्म लगती हूँ उन तकियों पे आज
जिन पर सर रखके सोना, सीख रही हूँ
तुझमे डूबी मैं,अब खुदमें सवार रही हूँ
हाँ तुझसे दूर अकेले जीना सीख रही हूँ-
"मोहब्बत में जज्बात पर काबू नहीं होता साहेब
तूफान कभी खामोशी से गुजरता है क्या"।-
पाया है मैंने गम का खज़ाना मोहब्बत करके
पता नही लोग कैसे कहते है मोहब्बत मे मिलता कुछ नही है-
'मोहब्बत'
अगर हम बोले तो मुझे मोहब्बत शब्द से ही मोहब्बत है,
अब हम क्या कहें मोहब्बत के लिये हर इन्सान वाकिफ है मोहब्बत से ,
आरे अगर मिल जाये प्यार मे धोखा इन्शान जीते जी मर जाता है ,
जिन्दगी के लिये प्यार सब कुछ तो नही पर प्यार बिना जिन्दगी भी नही,
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ए मुसाफिर मोहब्बत करलो हम से...
जनम जनम तक, पन्नों से लेकर होठों तक
दोहराए जाओगे।-
आपकी चाहत मे
दूर बैठे है, हम
कैसे बताऐ आपको
आपसे मोहब्बत
कर बैठे है, हम।।❤️❤️
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अब बस भी करो यार
अब और कितनी सजा दोगे
मोहब्बत करने का,
जीते जी तो लाश बना ही दिया हमें
अब अर्थी निकलवाकर ही
चैन की सांस लोगे क्या??-