मधु
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दो शब्द स्मृति के माँ के नाम करती हूँ
नूतन ,पल्लवी, माधवी ,तनु की तरफ से
कोमल ह्रदय शशी सी सुंदर माँ को प्रणाम करती हूँ-
राधिका
सुंदर वस्त्रों में सज संवरकर
राधिका चली पीताम्बर धाम
हाथों में सजी है सुंदर मेंहदी
होंठों पर प्यारी मधुर मुस्कान।
भक्ति भाव में होकर विह्वल
चैतन्य ज्योति से मुख उज्जवल
हृदय में वंदना के भाव कोमल
मन में गूंजते प्रेमोद्वेलित स्वर।
प्रीत में व्याकुल हुआ है मन
दिख रहे हर तरफ मुरलीधर
श्याम वर्ण में देवकीनंदन
मोर पंख पहने प्रिय मधुसूदन ।
चली रुकमनी करने समर्पण
अपना समस्त जीवन अर्पण
बनने कृष्ण की कृष्ण प्रिया
श्याम माधव की माधवी श्यामा।-
कि वह सच में बदला है
दरअसल अभिनेता उम्दा है;
किरदार आसानी से बदलता है।
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जीवन वट के नीचे बैठा था,
कि चंचल पवन की हवा आई,
और फूलों का एक गुच्छा
मुझ पर झर उठा,
बृजराज का यह वृक्षतव्य
मुझे आकंठ सुगंधित कर गया।।-
माधवी श्रीवास्तव तुम्हारे लिये....
खूबसूरत शब्द तुमने उकेरे YQ पर ,
हर शब्द में मिली ताजगी
खोल के रखा दिल अपना
पढ़ा तुम्हें ,चाहते है पढ़ते ही रहना
तुम सदा ही लिखते रहना
तुम सदा ही लिखते रहना
500 quotes पर बहुत बहुत बधाई
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