"उफ़्फ़फ़फ़! हाय, मैं मरजावाँ, मैं मरजावाँ"
आ तू आकर बैठ पास मेरे, मैं तुझे दिल का हाल सुनावा,
तेरी ये 'खुशबू' पागल करती हैं मुझे, हाय! मैं मरजावाँ।1।
साथ हो एहसास तेरा, मैं अकेले भी ज़िंदगी बितावा,
जो ख़्याल भी आए तेरे बिन जीने का हाय, मैं मरजावाँ।2।
इन्तज़ारों का सिलसिला यूँ ताउम्र क़ामिल रहें, मैं इंतज़ार
में तेरे ये ज़िंदगी बितावा, जो न आए तू हाय, मैं मरजावाँ।3।
सलीक़े तेरे आशिक़ी के मैं तो बार-बार दोहरावा, जो तू
बन जाए किसी और की ज़िंदगी तो हाय, मैं मरजावाँ।4।
'राह-ए-उल्फ़त' पर मैं तेरे आने के बस ख़्याल भर से मैं
ऐहतराम से इठलावा, जो तू दे मनाही हाय, मैं मरजावाँ।5।
सौदा-ए-इश्क़ में सब कुछ हार के मैं तुझे पाकर मुनाफ़ा
कमावा, जो तू किसी और के हिस्से में आई, मैं मरजावाँ।6।
गर्दिश भरे वक़्त को भी मैं हँसकर बिता जावा, गर जो तू
किसी और कि तक़दीर बन जाए, तो हाय, मैं मरजावाँ।7।
जो तू लैला बन जाए मेरी तो सनम मैं तेरा मजनू बन जावा,
तेरी ख़ातिर फनां होने को उफ़्फ़फ़फ़फ़! हाय, मैं मरजावाँ।8।-
तेरी मोहब्बत में सदके जावां,
तूं जिंदगी है मेरी तेरे बगैर मैं एक पल भी न जी पावां।
हाय!! तेरी मासुमियत में तो मैं लटु हो जावां,
मुझसे दुर न हो मेरे दिलबर,
वरना मैं तो मर ही जावां।-
तुम मेरी और सिर्फ मेरी हो क्या ये वजह काफी नही है मेरी खुशी के लिए मेरे मुस्कुराने के लिए....
आज बस यूँही आशिक़ाना आलम बना रहे और क्या चाहिए मोहब्बत के नगमे गुनगुनाने के लिए...-
जिन फिल्मों को देखकर मुझे बहुत ही ज़्यादा खुशी होती हैं न वो फिल्में मुझे रुला देती है।
वैसे तो इनकी कहानी मुझे बहुत ही ज़्यादा अच्छी लगती है लेकिन उनका अंजाम मुझे सच्चे मोहब्बत के अक्सर बिछड़ जाने की बात बता देती है।
#मरजावाँ-
#मरजावाँ
ऐसा नहीं है कि मोहब्बत करने वाले मरने से डरते हैं..
बात दरअसल ये है कि वो मौत भी कितनी खूबसूरत होगी...
जो उनके महबूब की बाहों में उनकी जान निकलेगी इसलिए वो ऐसे हालात को तड़पते है...
और पता है ऐसा होना जरा मुश्किल हैं इसलिए वो क़यामत की रात को तरसते हैं...-
जब लिखना शुरू करता हूँ हर्फ दर हर्फ तुझपे ए मिरी जान तो मेरे लफ्ज़ कम पड़ जाते है...
जब आता हैं महफ़िल में नाम तुम्हारा जब होता है जिक्र तुम्हारा जुबान ए होश हमारे एकदम से थम जाते हैं...-
कौन कहता है शिकायतें जान लेती है...
आज तो मैंने तारीफों से ही मरजाना है..
उफ्फ्फ्फ! हाय मैं मरजावाँ जी मरजावाँ..-
अगर कभी तुम्हें हमारे इश्क़ की हद देखनी हो तो बताना।
अगर हमारी धड़कन में अपना नाम सुनना हो तो बताना।
हम जिससे सनम रूहानी तौर पर इश्क़ फ़रमाते हैं।
फिर चाहे कोई भी भीड़ हो, कैसा ज़माना हो इज़हार-ए-इश्क़ से हम नहीं घबराते हैं।-
🌷थोड़ी जगह दे दे मुझे..!!🌷
तेरे पास कहीं रह जाऊं मैं खामोशियाँ तेरी सुनूँ ओर दूर कहीं ना जाऊं मैं अपनी ख़ुशी देके मैं तुझे तेरे दर्द से जुड़ जाऊँ मैं…-
तुम आओगे मुझे मिलने ख़बर ये भी तुम्हीं लाना।
बहुत 'आई-गई' यादें, मगर इस बार तुम्हीं आना।-