रंग-बरांगी तितली आज
पता नहीं क्यों दर्द में डूब जाती है
किसी की चाह में
देखो वो नीर बहाती हैं
जैसे गुलो में बसे प्रण उसके
चमन केे फुलो से लिपट लिपट जाती हैं-
अपने वादों से मुकर जाना,
मनमानी करना,
भूतकाल की गरीबी को भुनाना,
आत्म केंद्रित होना,
हर विषय में जानकारी के बिना स्वयं को विषय का विशेषज्ञ दिखाना,
यंत्र और तकनीक में बेइमानी से अपने लाभ के लिए छेड़ छाड़ करना,
स्वयं के विरुद्ध विचार रखने वाले को देश द्रोही करार देना,
.......
यही तो है शब्दकोश का नवीनतम प्रवेशी:
'..दी' हो जाना-
'नियत' कितीही चांगली असु द्या.... ही दुनिया आपल्या 'दिखाव्या' वरुन आपली किंमत ठरवत असते !
आणि.... आपला 'दिखावा' कितीही चांगला असु द्या... परमेश्वर आपली 'नियत' ओळखुन आपल्याला 'फळ' देत असतो....!-
मोहब्बत की है हमने तुमसे,,,
इसके मायने ही कुछ अलग है मेरे लिए...!
खुबसूरत नहीं है खुबसुरती मेरे लिए,,,
मोहब्बत ही तुम हो ओर,,,
मोहब्बत ही खुबसूरत है मेरे लिए...!-
है कोई यहाँ जो बता दे सरेआम क्या है,
हैं जो पर्दे के पीछे तो खुले आम क्या हैं,
यू नसीहते देने से कुछ नही होता ज़नाब.....
अपने अंदर भी तो देखो ज़रा ..की कत्ले-आम क्या हैं।।।-
दुनिया भर की याद में हमें ना भुला देना,
आए जब याद हमारी थोड़ा सा मुस्कुरा देना,
जरूर मिलेंगे हम अगर जिंदा रहे..
याद में हमारी दीवाली का एक दिया जला देना...-
तेरी बेबाक यादों का वो झरना है हम
जो बढ़ता ही जाता है मुड़ता नहीं कभी
-
मजदूर के मजबूरी का फ़ायदा नहीं
उनका भी हौसला बढ़ाओ ।
दिन-रात से जो लड़ते है
कभी उनके लिए भी नतमस्तक हो जाओ ।
🙏-