sakshi singh   (Sakshi Singh "Hayat")
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Joined 17 January 2019


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29 JUL 2024 AT 21:41

मुहासरा करने की तैयारी कर बैठे थे
जहां कब से किरायेदार बन बैठे थे
हक जताते जताते ये भी भूल बैठे थे
पहले ही जाने कितने बकायेदार बैठे थे

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10 APR 2024 AT 12:11

ऎक मुकम्मल गज़ल छिपी है
एक दो मतलों की बात नहीं है...

ख़ुमारी है ये बस निगाह की
जाम और बोतलों की बात नहीं है...

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9 APR 2024 AT 21:24

शब्द कम ही गढ़े,भाव बुनते गऎ
जब भी बातें हुईं
लफ्ज़ कम ही पढ़े,अश्क बहते गऎ

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5 MAY 2023 AT 22:22

किरदार होता जरूर है
दर्द कोई भी हो
ज़ख्मदार होता जरूर है

और गुनाह कोई भी हो
गुनाहगार होता जरूर है

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3 MAY 2023 AT 9:21

जो रोके थे अब तक
जज़्बात लिख दो
जो आए हमारे हिस्से
मुलाकात लिख दो

दिन दोपहरी तो ठीक
मेरे हिस्से में अब अपनी
रात लिख दो

दिन गुजर जायेंगे
मलमास के भी अब
मेरे नाम अब आने वाली
बरसात लिख दो

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2 MAY 2023 AT 22:40

वो तो बस यूं ही बदनाम है
हमने तो फरेब उजाले में देखा

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2 MAY 2023 AT 18:40

फिसलना
वक्त और रिश्ते दोनों का

तुम नही जान पाओगे
गुजरना
सफ़र और ज़िंदगी दोनों का

तुम नहीं जान पाओगे
बिखरना
सपनों और अपनो दोनों का

तुम कभी भी नहीं जान पाओगे
बिछड़ना
बाप और बेटी दोनों का

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6 APR 2023 AT 18:54

जो वक्त गंवाया है
उसका हिसाब भी होगा

इतनों की चाह हो
कुछ रुआब भी होगा

जिसकी पहली पसंद
चाय है ' हयात '
आशिक लाजवाब होगा


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3 APR 2023 AT 18:43

हमें मिलने में थोड़ी देर हुई
साथ तो दूर का है न

प्रेमिका थी या नहीं क्या हुआ
हक़ तो सिंदूर का है न

अंधेरों में मिले तो क्या हुआ
सफ़र तो नूर का है न

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17 DEC 2022 AT 18:33

जो बात लबों ने बयां किया
हंसते हंसते हमने खुद को
हर बार तुम्हीं पर फना किया

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