कड़ियों से
जुड़ती हैं कड़ियाँ
कहीं हाथ पैर बँधे
कहीं मुँह में बेड़ियाँ
ऐसे ही
चल पड़ती है 'श्रृंखला'
//अनुशीर्षक
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किताबें 📚📚 यात्रा हैं,,भुत ☝ से भविष्य ✌ की.......
Trying to understand this line of mine will give a very deep meaning..
Thank you-
कच्चे धागे कभी मज़बूत नहीं होते
कबूतरों से अच्छे दूत नहीं होते
तूने खुद ख़ौफ़ पैदा कर रखा है बेनाम
ये आत्मा होती है आदमी की भूत नहीं होते-
न जाने उसपे कौन सा भूत चढ़ गया
एक ही रात में वो मेरी सारी कविता पढ़ गया-
[ आज हम बताते हैं कि आप 👭👫लोगों को भूत 💀💀 क्यों नहीं दिखते हैं ]
भूत👻👻 दिखते नहीं है पर होते हैं ,
हमारे आस-पास ही कहीं बैठे🙀🙀 होते हैं ।
अगर हम उन्हें देखना😲😲 चाहे तो भी ,
नहीं देख 🙈🙈सकते हैं क्योंकि ।।
भूत👻👻 मन की आंखों👀👀 से नहीं ,
शैतान 💀💀वाली आंखों👁️👁️ से दिखते हैं ।
और हम उम्मीद करते हैं कि आप लोग शैतान नहीं हैं बस इसीलिए आप लोगों को भूत नहीं दिखते हैं
😜😜😜😛😛🧐🧐😛😛😜😜😜-
कुछ समय पहले तक, जब कभी,
वर्तमान में मेरा
दम घुटने लगता था,
मैंने भूत की खिड़की खोलकर
सांस लेने का प्रबंध किया।
भूत की भूली बिसरी यादों
कुछ देर निहारकर,
उन पर जी भर कर रोकर
वर्तमान की समस्याओं से भी कुछ
तसल्ली मिलती रही।
मगर अब लगता है कि मानो
वो खिड़की बंद हो गई हो।
और मैं इस बात पर रो भी नहीं सकता
कि मेरे पास रोने के लिए कुछ नहीं है।-
भूत दो तरह के होते हैं।
एक जो शरीर तो छोड़ चुके होते हैं मगर दुनिया नहीं।
दूसरे जो दुनिया छोड़ चुके होते हैं मगर शरीर नहीं।-
तलाश में रहो आस में नहीं
मिल जाए इश्क़ तो ठीक
नहीं तो भूलना भी सीखो
वरना घरवाले तो बैठे ही हैं
इश्क़ का भूत उतारने के लिए
😂😂😂😂-
काश ऐसा होता ,मैं तुझे याद करता
तू मेरे सामने होती, काश तु भूत होती।-