छोरियाँ पतंग उड़ावती
मनख हसबा ळागता,
छोरियाँ हवाई जहाज
भी उड़ावे मनख सोचवा
ळागा.....!
छोरियाँ पढ़वण जाती
मनख ताना मारता,
छोरियाँ पढावण भी जाए
मनख चौकवा लागा।
डरै हैं अंधारा सूं केहवे है
सब बिकण , कीड़ा मकोड़ा
सूं तो , सुई सूं भी डरै हैं..
हाळ छोरियाँ डरावे भी
बन्दूक भी उठावे हैं
सुई भी लगारे हैं , नवो
जीवण ही नि देवें, इक प्रेरणा
बण'ने सामी आवे हैं...
समाज ने दरपण भी दिखावें हैं।
Baisa_ri_kalam-
कभी कभी मैं सोचती हूँ
क्या मैं भारत की बेटी हूँ
फ़िर मैं अतीत में जाकर देखती हूँ..
कथावों में.. सीता से लेकर द्रोपदी तक
और वर्तमान में.. निर्भया,आसीफा,गुड़िया को
फ़िर मैं.. याद करती हूँ अपनी उन मातावो को
जिन्हें वस्त्र पहनने पर भी कर चुकाना पड़ता था,
उन छोटी छोटी बहनों को जिन्हें.. देवदासियाँ बनाया जाता था
अपनी उन जवान बहनों को जिन्हें मजबूरन वेश्यावृत्ति
करवायी जाती है
फ़िर मैं समझ जाती हूँ की मैं भी भारत की ही बेटी हूँ
और चुपचाप भूखे पेट सो जाती हूँ....
क्योंकि मैं भी भारत की बेटी हूँ..
हाँ मैं गर्व से कहती.. मैं भी भारत की बेटी हूँ
-
कि
दूर ही रहना वरना चंडी का रूप दिखाऊंगी।
ना रोऊंगी ना चिल्लाऊंगी,
मै भारत की बेटी हूँ, तुझे चीर के आऊंगी।-
Cs-छोरी हूँ तो क्या हुआ,
छोरों से कम थोड़े हूँ
आंगन,खेत,खलिहान में ही नहीं
मैदानों में भी दौड़े हूँ।
पतंग ही क्या?
हवाईजहाज़ भी उड़ा रही हूँ
मुझे कमज़ोर कहने वालों का
मुंह भी चिढ़ा रही हूँ
कौन कहता है कि
मैं अंधेरों से,सूई लगने से डरती हूँ
आज मैं अंधेरों में भी
हवा से बातें करती हूँ
मैं ड्राइवर, मैं मेकेनिक,
मैं डॉक्टर,मैं इंजीनियर भी हूँ
मैं एयरफोर्स,नेविगेशन,
आर्मी में ऑफीसर भी हूँ।
मैं बन्दूक भी उठाती हूँ,
निशाना भी लगाती हूँ
सब की बत्तीसी बन्द करने वाले
तीर भी चलाती हूँ।
फिर क्यूँ समझ रखा है मुझे कमजोर?
कौन है जो मुझे आत्मसम्मान से
जीने नहीं देता है?
आखिर क्या दुश्मनी है उसकी मुझसे?
जो देवी कहकर मुझसे
मेरा हक़ छीन लेता है।
एक लड़की सब पर भारी है
लेकिन उस दिलजले की तलाश अब भी जारी है।-
✍️✍️आज कुछ लोगों की वजह से फिर से होली के रंग बदल गए …
इस साल भी स्त्री का कही न कही आत्मसम्मान
लुटा है ।😭😭
गलती उनकी नही हमारी है जो अपनी बहनों को बचा ना पाए ।😔😔
बहुत शर्म की बात है हम भारतीय हो कर अपनी मां बहनो के लिए एक अच्छा समाज बना ना सके 😓😓😓
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मुझे यूँ घर से बाहर जाने से मत रोको
मुझे यूँ अपनी बात बोलने से मत रोको
मेरी ख्वाईशो को यूँ पैरो की बेड़ियां ना बनावो
मुझे यूँ आसमान में उड़ने से मत रोको
तुम्हारी गंदी सोच से मेरी आज़ादी ना छीनो
बेवजह तुम्हारी हवस को मुझ पर मत थोपो
मेरे कपड़े को देखकर मेरा चरित्र ना परखो
मेरे आंसू को मेरी कमज़ोरी ना समजो
मैं भी कल्पना चावला और किरन बेदी बन सकती हूँ
बस मेरे अरमानो का यूँ गला ना घोटो
मैं काली भी बन सकती हूँ और सीता भी
बस मेरे सब्र का बार बार इम्तिहान मत लो
मैं भारत की नारी हूँ
मुझे यूँ बिचारी ना समजो
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