जाड़ो लगे भौजी,जाड़ो लगे।
पहली बार लोकगीत का प्रयास किया है
कैसा लगा बताए जरूर, जो त्रुटियाँ हो
उनसे भी अवगत कराएँ।
(अनुशीर्षक में पढ़े।)-
जो दिल पे गुज़री है या रब वो किसने जाना?
दिल रोया ख्वाबों में हर शब वो किसने जाना?
हम तो कर बैठे थे इश्क़ बिना मजहब जाने?
होता क्या है इसका मज़हब वो किसने जाना?-
21वीं सदी में मचो है हल्ला
तुम खूब पड़े हो फैशन में
गरीब लोट रय टेशन में.......
अच्छे दिन कहके सरकार आई
पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई
अर्थव्यवस्था ऐसी चरमराई
नई आ रई अब लपेटन में
गरीब लोट रय टेशन में............
सरकार ने 370 हटाई
मंदिर पे भी हो गई सुनवाई
विरुद्ध एक बात समझ न आई
किसान पड़े हैं खेतन में
गरीब लोट रय टेशन में........
महाराष्ट्र में मचो ऐसो बवाल
सब ने काटो खूब भौकाल
भुंसरिया में शपथ है ले लई
संविधान पड़ो रओ जेबन में
गरीब लोट रय टेशन में...........
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अपने किरदार पर डाल कर पर्दा हर शख्स कह रहा है जमाना बहुत खराब है
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|बचपन की यादें|
"अपनी कक्षा में हम बहोत तेज नई हते बस अंधो में काना राजा जैसे थे जब हम कक्षा सातवीं में हते तब एक सर ने हमको बहोत डांटो तो इतनो की आंखे भर आई हेती लेकिन पूरी क्लास के सामने रो भी नई सकत हेते तो झूट्ठई दांत दिखा रहे हते डांट केवल हमई को पड़ी काए की पूरी क्लास में केवल हमने सवाल हल करो हतो और पूरो सवाल तो सही हतो लेकिन लास्ट तक आत-आत आन्सरई गलत लिख दौ तो तब फिर पूरी क्लास को डांट नई पड़ी काय की उन लोगन ने कछु नई लिखो हतों हमें पड़ी काय की हमने कछु तो लिखो हतो ऐसई भगवान भी करत हैं कठिन जीवन उनई लोगन को देत हैं ,जो कठिनाई को हल करब जानत है जो कछु नई जानत उनको सरल सो जीवन दे देत हैं"❤️🙈😂😊-
बुंदेली कविता में नया इंडिया
सुख से हमें परन नई दे रयै ,रुपया घरै धरन नई दे रयै ।
शौचालय में पानी नइयां, बाहर हमें करन नई दे रयै ।।
फारम सबई नौकरी बारे, पैसा बिना भरन नई दे रयै ।
जीएसटी व्यापार चाट गई, कौनऊ काम करन नई दे रयै ।।
दिन-दिन महँगे होत सिलिण्डर,चूल्हो घरे बरन नई दे रयै ।
दस परसेंट लेत नेता जी, नई तर रोड डरन नई दे रयै ।।
सपनन की बगिया सूखी है, सुख की बेल फरन नई दे रयै ।
जबरई जीवन बीमा कर दओ, सुख से हमें मरन नई दे रये ।।
#अज्ञात-
सूखे पत्तों की तरह बिखरा था मैं ..🥀
सूखे पत्तों की तरह बिखरा था मैं 🌻
बड़े प्यार से समेटा किसी ने.🙋
और फिर आग लगा दी 💔-