आज छोटे नेता बोल चुके
कल बड़े नेताजी बोलेंगे
शहीदों के घर जाएँगे
थोड़ा आँसु बहाएँगे
परसों से फिर वही सत्ता की मारामारी-
तुमको नमन ऐ राष्ट्रबहन
तुमको नमन ऐ राष्ट्रभाई
नमन तुम्हारी वीरता को
नमन तुम्हारी धीरता को-
शहादत तो हो गयी मेरी,
पर वो देश के काम ना आयी,
ख़र्च हो रहे हम बिन बात के,
डरते नहीं हम मरने से,
पर वो मैदान जंग का हो
मत मरवाओ हमें कायरों के हाथ,
हम पर शक करना बन्द करो,
भरोसा तो करो अपनी सेना पर,
ट्रेन को हरी झंडी कल दिखलाना
हमें हरी झंडी आज ही दो-
सुन लो प्यारे नेतागण,
बहुत हो गयी तुम्हारी मनमानी,
बहुत हो गयी ये बयानबाज़ी,
बहुत हो गयी बकवास की बातें
तुमको चुनकर भेजा,
तुम हमारे माई-बाप बने,
हमने ये सब बर्दाश्त किया,
बदमाशी को बर्दाश्त किया,
अब नहीं बर्दाश्त करेंगे
या तुम देश के लिए काम करो,
या फिर अगले नेता मैं हूँ
अब तलवार ना उठायी तो,
मैं क़लम तोड़ दूँगा-
हम अपने गांव में नहीं रहते
ना अब शहर में रहते है
पता बस इतना है मेरा
जहां कोई नहीं रहता हम वहां पे रहते हैं
मिट्टी धूप से जलती है रातें बर्फ उगलती है
नाम है रेगिस्तान जिसका हम वहां पे रहते हैं
हम भी इसी जहां में रहते है-
हो गयी कड़ी निन्दा शहीदों की शहादत पर
सो जाओ सब अपने घर अब चैन से
कल कौन पूछेगा इन्हें, और
इनके घर के चूल्हे को
बीवी कैसे रोती होगी
बच्चों का क्या होगा
माँ बाप का हाल हमसे नहीं बयाँ होगा
कितनी क़ीमत और चुकायें,
इस हिन्दु-मुस्लिम झगड़े में-