मोहब्बत करने वालों को सुकून कहां मिलता है, दिल से लहू टपक टपक कर निकलता है, फिर भी लोग इस खेल में फंस जाते हैं, ऊपर वाला साथ रहता है ,तो बंदा बचकर निकलता है चांद, सूरज की दोस्ती नहीं हो सकती एक छिपता है तो दूसरा घर से निकलता है, हमने तो देखा आशिकों को करीब से, जो कहते थे छत पर मेरे चांद निकलता है, किस-किस को समझाओगे गर्ग गजलों से तुम, जो इस दलदल में फसता कहां निकलता है|
लिख रहें हैं अपने हालात पर और रो रहे हैं पढ़ने वाले जैसे लग रहा है सो रहे हैं 😥 वाह वाह क्या बात इस को हम घुट घुट कर सह रहे हैं दो चार लोग उसी में बेहतरीन बेहतरीन कह रहे हैं