वैभव गर्ग   (वैभव गर्ग)
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Joined 18 August 2020


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Joined 18 August 2020
9 FEB 2023 AT 13:38

सोचता हूं मोहब्बत करूं , लेकिन मोहब्बत करने वाले मर जाते हैं
हम भी इसी डर से डर जाते हैं,कैसे लोग हैं, कैसे लोगों के लिए मर जाते हैं

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30 JAN 2023 AT 17:41

तन्हाई बढ़ रही है इन दिनों हमारी
उम्र घट रही इन दिनों हमारी

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17 JAN 2023 AT 19:59

समंदर भी डर गया
निदियों में सैलाब आया,
कल रात एक जादूगर,
हमारे ख्वाब में आया,

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13 JAN 2023 AT 21:29

दिन है,रात है,ख़्वाब है, नीद है, जिंदगी
चाह है जीने की है हमको क्या साथ देगी जिंदगी,

यूंही हमको जीना है, जीने की आस है जिंदगी है
कब तलक तू साथ देगी जिंदगी, मौत तुझको मात देगी सुनले ये जिन्दगी

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30 JUL 2022 AT 19:41


समझदार लोगों को हम कहा अच्छे लगेंगे
उन्हें सच्चे लोग झूठे, झूठे लोग अच्छे लगेगें

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29 JUL 2022 AT 20:44

जीने वाले सोते हैं क्या मर कर भी कोई सोता है
इश्क तो सबसे करता हूं क्या प्रेम दोबारा होता है

इस दुनिया में दो ही चीजें, मर कर भी जी जाती है
एक जो दिन भर हसता है एक जो दिन भर रोता है

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29 JUL 2022 AT 15:00

हम नहीं मिलने वाले तुम्हें तुम्हारे इस तौर पर
अपना काला जादू चलाओ किसी और पर

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29 JUL 2022 AT 1:24

मोहब्बत करने वालों को सुकून कहां मिलता है,
दिल से लहू टपक टपक कर निकलता है,
फिर भी लोग इस खेल में फंस जाते हैं,
ऊपर वाला साथ रहता है ,तो बंदा बचकर निकलता है
चांद, सूरज की दोस्ती नहीं हो सकती
एक छिपता है तो दूसरा घर से निकलता है,
हमने तो देखा आशिकों को करीब से,
जो कहते थे छत पर मेरे चांद निकलता है,
किस-किस को समझाओगे गर्ग गजलों से तुम,
जो इस दलदल में फसता कहां निकलता है|

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28 JUL 2022 AT 20:38

किसने कहा तुम मुझे छोड़कर जाओगी तो मैं
मर जाऊंगा
जैसे तुम्हारी डोली उठेगी, वैसे मैं खुदा के घर
जाऊंगा

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27 JUL 2022 AT 12:34

लिख रहें हैं अपने हालात पर और रो रहे हैं
पढ़ने वाले जैसे लग रहा है सो रहे हैं 😥
वाह वाह क्या बात इस को हम घुट घुट कर सह रहे हैं
दो चार लोग उसी में बेहतरीन बेहतरीन कह रहे हैं

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