तू रहनुमा मेरी वीरान-सी रास्तों की
तू साहिल मेरी डूबी-सी कश्ती की
अब तू ही मझधार
तू ही मेरी पतवार
कैसे करूँ मै खुद को तुझसे दरकिनार
मेरी फ़ौज भी तू, तू ही मेरी सिपहसालार-
28 JAN 2019 AT 20:44
6 AUG 2020 AT 14:14
तुझे तेरी ये ,
सारी फ़ौज मुबारक हो ।
मुझे मेरे मुफलिसी का,
सिर्फ़ एक दोस्त काफ़ी है ।।
:- सुजीत कुमार मिश्रा प्रयागराज-