यूं तो आसान है, ताउम्र शान ओ शौकत ,
यूं दिलों में बसना, आसान नहीं है ।।
साथ छोड़ देते हैं लोग चलते चलते ,
पर , यूं सफ़र बिताना आसान नहीं है ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
कवि, शायर और लेखक
अबकि बस रुक जा पहर और एक दो पहर ,
आंखों की प्यास बुझा लेने दो पिया ।
कितना तड़पी हूं मैं बारिश में अबकि सावन में,
जेठ दुपहरी , आसुओं से भीग जाने दो पिया ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज
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एक गीत भरा है तुझमें,
मैं सुर ताल बना लूंगा ।
तुम साथ रहो तो फिर,
मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।
देखेगा ज़माना भी क्या, मुझको आवारगी आता नहीं।
जब से देखा हूं तुझको तो, मुझको होश आया नहीं ।।
तुम जो धड़कन चुरा ली हो, मैं ये जां भी लुटा दूंगा ।
तुम साथ रहो तो फिर, मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।
कसमें वादे वफ़ा सारी, बाते हैं बातों का क्या ।
तेरे बिन इश्क कैसा मेरा, बिन तेरे जिन्दगी का क्या।।
कितनी मिसरे पड़े मेरे, मैं एक पंक्ति बना दूंगा ।
तुम साथ रहो तो फिर, मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।
मृगनयनी सी आंख तेरी, परियों सी सजावट है।
मस्तानी ये चाल तेरी, कुदरत की बनावट है ।।
एक एक खूबियां मैं तेरी, इस तरह दिखा दूंगा।
काग़ज़ पर लिख लिख कर, एक गीत बना दूंगा।।
तुम साथ रहो तो फिर, मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।
एक गीत भरा है तुझमें,
मैं सुर ताल बना लूंगा ।
तुम साथ रहो तो फिर,
मैं कुछ भी गुनगुना लूंगा ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
ख़्वाब बस देखने में अच्छा लगता है ।
सच में जीना मुहाल लगता है ।।
जिन्दगी जीते रहा मैं ताउम्र मगर ।
आख़िरी वक्त में मरना मुहाल लगता है ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
हर तरफ़ आग के गोले बरसाए गए,
हर तरफ़ भीड़ को उकसाया सबने ।
हर तरफ़ सिसकती रही मजलूम सांसे कितनी,
हर तरफ़ दंगो का लुत्फ उठाया सबने ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
ये जो होता है तो होता है,
ईश्क का मोल कहां होता है ?
ऊंच और नीच, अमीरी _ गरीबी सबकुछ ,
देखती दुनियां है, ये इश्क कहां सुनता है ।।
हुस्न की चाहतों में तो, हर कोई दगा करता है,
कोई आशिक़ ही बस सच में वफ़ा करता है ।
अपने इस दिल को सुजीत, संभाले रखना,
गैरों की चीज पर हर कोई नज़र रखता है।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
रेलवे टिकटों के जैसी हो गई है जिन्दगी ।
बहुत मुश्किल से मिलता भी है तो सिर्फ़ और सिर्फ़ वेटिंग ।।
कुछ पता नहीं होता कि कब कन्फर्म टिकट हो जाए,
और हम सीधे परलोक को सिधार जाएं ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
गीत हिंदोस्तां के गाया करेगें ।
अनेकता में एकता सिखाया करेगें ।।
बात कभी जो तिरंगे की होगी ।
खुशी से ये जां हम लुटाया करेंगे ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
आज का दिन आपका उदयभान हो ।
हर खुशी आपका हो, चेहरे पर मुस्कान हो ।।
यूं ही खुशियों में बीते बरस आपका ।
है दुआ, दिल से ऐसी हो, दास्तां आपका ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज-
कारी बदरिया, रिम झीम बरसे,
सूनी लागे पनघट बैरन को।
रटत रहत नित श्याम पिया को,
सखि हमारी दसा बिरहन को ।।
#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज
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