माँ कहती थी
जब चिड़िया
धूल में नहाती है
तब पानी आता है।
माँ कहती थी
जब धूप में
बारिश होती है
तो चिड़ियों का ब्याह होता है।
माँ अक्सर कहती थी
रात को पेड़ सो जाते है,
फूल पत्तियाँ नही तोड़नी।
माँ ने न जाने कौन से
पाठ पढ़े प्रकृति के?
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आपके आंचल में सुकून है मां
आप हो तो मेरा वजूद है मां
आपके बिना कुछ नहीं हूं मैं
इसलिए मेरी हर उम्मीद आप हो मां...!❤️-
इस जग में वो मां ही तो है,
जो निस्वार्थ प्यार करती है अपनी संतान को।-
कभी मुश्किलों ने मेरी मुस्कान चुराया
कभी दर्द ने मुझे जमकर रूलाया
ज़िन्दगी ने मुझे इतना आज़माया की
मेरे अक्स ने ही मेरी वजूद को किया पराया
कभी लगा हार मान लूँ
अपनी बदक़िस्मती को क़िस्मत का वार मान लूँ
फिर उनकी दुआओं का असर हो आया
जिनकें हाथों ने मुझे चलना सिखाया
न मैने हिम्मत खोया
न किसी मोड़ पर डगमगाया
क्योंकि मेरे संग था मेरी माँ का साया।
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!माँ की ममता होती हैं कितनी प्यारी !
एक वो दिन था जब मैं रोती थी रातो को ।
और ना आती थी मेरे आँखो में निदिंया रानी ।
तब मेरी माँ मुझे सुनाती थी राजा-रानी की
प्रेम कहानी और सुलाती थी मुझे प्रेम से ।।
और एक ये दिन हैं,जब मैं चाहती हुँ सोना रातो को,
पर ना आती मेरी आँखो में निदिंया रानी ।।
याद आती हैं मुझे अपनी ही प्रेम कहानी ।
और रोती हूँ रात भर पर ना होती मेरे साथ ।
मेरी प्यारी माँ मेरी आंसु पोछने वाली ।।
तु कितनी प्यारी हो मेरी माँ तु आ भी जाओ ।
मेरे पास और दो, दो पल अपनी आँचल की छाँव।
मे सुकुन चैन ।।
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नजरें मिलाने से भी डर रहा हु मम्मा,
मेने वो किया जो आपके उसूलो के खिलाफ था,
दुख इस बात है की किसी के साथ वफ़ा करते करते
मे आपके साथ बेवफाई कर गया-
माँ
शब्द बहुत छोटा है....
लेकिन इसका अर्थ बहुत गहरा है.....
कभी कोई लेखक या शायर माँ के बारे में पूर्ण व्याख्या नहीं कर सकता,
तो फिर मेरी क्या औकात जो मै माँ के बारे में लिखूं,
जननी बनना आसान है लेकिन माँ हर कोई नहीं बन सकता,
अंजू माँ मै आपके बारे में जितना कहूं कम है
कुछ लाइने है आपकी ममता के लिए....
ज़िन्दगी में हर बात की आशा होती है माँ,,
शायद ज़िन्दगी की परिभाषा होती है माँ,,
मन के जज़्बातो को बिन कहे समझने वाली भाषा होती है माँ,,
शायद ज़िन्दगी की परिभाषा ही होती है माँ...!!-
माँ तो ममता की मूरत
ये दुनिया में है सच्ची ,
माँ से बढ़ कर कोई न दूजा
ये दुनिया में है अनमोल ,
सब मिल जाएगा दोबारा
माँ न मिले दुनिया में फिर दोबारा,
माँ की ममता की छाँव में
पलकर बड़े हुए हैं हम सब,
माँ से प्यारी कोई न दूजा
हैं ईश्वर का ये दुसरा रूप ,
इनकी ही सेवा में है
चारो धाम की तीर्थयात्रा ,
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