फूलों चारि तुम खिलनें रवो,
तारोंकि चारि तुम चमकनें रवो।
भाग्यल मिलिरै य जिंदगी,
खुदलै हंसो औरोंकें लै हंसोंनें रवो॥
जय उत्तराराखंड जय देव भूमि 🙏🙏-
मडुवे की रोटी पर तुमने घी रख कर कहाँ खाया होगा,
तुम तो शहर में रहते हो न...?
खाया भी होगा तो तुमको स्वाद कहाँ आया होगा।।-
पहाड़ियों की तरह ही खामोश है रिश्ते,
गर पुकारो नही तो आवाज भी नही आती ।।
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.....दूर कहीं हिमालय की गोद में
जिया है मैंने इस स्वप्न को हकीकत में
अब जीना है
तुम संग ❤️
(पूरा अनुशीर्षक में पढ़ें)-
कितना भी चाहे कमा लो तुम इस महंगाई की मार में....
एक दिन तो आना ही पड़ेगा माटू खैड़ने इस पहाड़ में ..😊-
वो ऊँचे ऊँचे हरे भरे पहाड़
वो गाड़ गधेरों में कल कल करता जल
वो देवभूमि में बजती घंटियां
वो चंदू ड्राइवर माठू माठू गाडी चला वाला गाना
मशानी कोई मसाण भी नहीं रोक सकता
तुझे इन वादियों में जीने से😊-
कुर्ती सफेद छींटे हजार,
ऐसी थी अपनी तो पढ़ाई यार☘️
पर वो दाग बड़े अच्छे थे यार....
बांस की कलम स्याही की टिक्की,
टिक्की घोली और स्याही तैयार☘️
ऐसे तो हम लिखते थे यार.....
एक कमरा 5वीं तक की एक एक कतार
एक गुरु लगाए सबका बेड़ा पार☘️
ऐसी तो थी अपनी पढ़ाई यार ....
किसका डायनिंग टेबल,किसका पिज़्ज़ा पनीर
मडुवे की रोटी,रोटी में नूंण☘️
खेलते कूदते ही खा जाते थे यार....
अपनी एक्टिविटी आप ही करते
क्यारी बनाते फूल उगाते
मिट्टी की चिड़िया भी उड़ाया करते☘️
वो भी सुनहरे क्या दिन थे यार ......-
पहाड़न हैं साहिब
हिम्मत पहाड़ सा
और
हृदय मोम सा रखते हैं.....
दिखते नाजुक से ,
पर
तन पर मिट्टी हाथों में हल होते हैं....
हीरे जवाहरातों से भले ही लदे ना हो,
पर
दिल हीरे सा रखते हैं ......
बड़ी ही मृदुभाषी वाणी हमारी,
पर
ज्यादा ओच्छीयाट किया तो कमर में दाथुली भी रखते हैं ....😅-
लयबद्ध श्वांस, मूसल की धमक,
पाजेब की छम-छम, चूड़ी की खनक ।
आधुनिकता से परे, मेरी पहाड़ की नारी -
कभी फीकी ना पड़े उनकी ये चमक ।।
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